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अदबी-कहकशां, उरूज-ए-सुख़न, फ़रीदाबाद ने सीनियर सिटीज़न क्लब फ़रीदाबाद में बीकानेर के मशहूर शायर मोहतरम इरशाद अज़ीज़ के सम्मान में *एक शाम इरशाद अज़ीज़ के नाम* का एक शानदार मुशायरा मुनअकिद किया।
कार्यक्रम की
शुरुआत संस्था के उपाध्यक्ष आ० प्रदीप गर्ग 'पराग' जी के द्वारा हुई। उन्होंने बड़े ही सम्मान के साथ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इरशाद अज़ीज़ जी, विशिष्ट अतिथि डॉ. अशोक मधुप जी, आ०अब्दुल रहमान मंसूर जी, ओम प्रकाश सागर जी, राजेश ख़ुशदिल जी एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष
शुरुआत संस्था के उपाध्यक्ष आ० प्रदीप गर्ग 'पराग' जी के द्वारा हुई। उन्होंने बड़े ही सम्मान के साथ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इरशाद अज़ीज़ जी, विशिष्ट अतिथि डॉ. अशोक मधुप जी, आ०अब्दुल रहमान मंसूर जी, ओम प्रकाश सागर जी, राजेश ख़ुशदिल जी एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष
और संस्था के संरक्षक डॉ० महेंद्र शर्मा मधुकर जी को मंच पर आसीन कराया और माल्यार्पण कर उनका यथोचित स्वागत किया फिर दीप प्रज्वलन के बाद माँ सरस्वती की स्तुति की।
कार्यक्रम का संचालन बहुत ही सधा हुआ रहा जो कि आ० ऋतु अस्थाना 'रूही' फ़रीदाबादी जी और आ० अनस फ़ैज़ी जी द्वारा स़पन्न हुआ।
बेहद कुशल और सहज संचालन में सभी का काव्यपाठ बेहतरीन और शानदार रहा, जिसने कार्यक्रम को उसकी बुलन्दियों तक पहुँचा दिया।
अदबी-कहकशां में शिरकत करने वाले कवियों और शायर-शायरात में डॉ० फ़हीम जोधपुरी जी, गोल्डी गीतकार जी, हाशिम देहलवी जी, हशमत भारद्वाज जी, सुनीता शारदा बंसल जी, कुलदीप कौर 'दीप' जी, तालिब हुसैन जी ,नील सुनील जी,सुरेश शर्मा जी,सरफ़राज़ अहमद फ़राज़ जी,अंजलि अदा जी,अवधेश कन्नौजिया जी, इमरान राही जी,इकबाल फ़िरदौसी जी,ख़ुर्रम नूर जी,शाकिर देहलवी जी,सुनील शर्मा जी,ताबिश खै़राबादी जी,फ़रीद अहमद फ़रीद जी, पलक अक्स जी, इब्राहिम अली जी, तसलीम अली जी, नरेश वर्मा जी रहे।
संस्था के संरक्षक डॉ० महेंद्र शर्मा मधुकर जी, अध्यक्ष आ० अजय अक्स जी, उपाध्यक्ष आ० प्रदीप गर्ग 'पराग' जी एवं महासचिव आ० ऋतु अस्थाना 'रूही' फ़रीदाबादी जी का भी उत्कृष्ट काव्य पाठ रहा।
श्रोताओं में डा अशोक शर्मा (सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य ) एवं आ० सुभाष पुंडीर ( एम.सी.एफ,) आ० कक्कड़ साहब और आ० मुकुल अस्थाना रहे
संस्था के अध्यक्ष, अजय अक्स जी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया और संस्था के संरक्षक डॉ महेन्द्र शर्मा मधुकर जी ने कार्यक्रम की समाप्ति की घोषणा की और भविष्य में समय-समय पर इसी तरह काव्य गोष्ठियाँ कराने और नवांकुरों को मंच प्रदान कर, साहित्य सेवा करते रहने का वादा किया।
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