फरीदाबाद। चुनाव परिणाम तो 4 जून को ही आयेंगे और उसी से पता चलेगा कि कोन कितने पानी में है। लेकिन इस बात की चर्चा जोरो पर है कि क्या कांग्रेस के महेंद्र प्रताप, भाजपा प्रत्याशी कृषणपाल गुर्जर की हेड ट्रिक को रोक पाने में कामयाब हो सकते है। मतदान को देखते हुए राजनैतिक पंडितो का मानना है कि इस बार फरीदाबाद में बदलाव की बयार दिखाई दे रही है। हालॉंकि हार जीत का अंतर एक लाख से नीचे रहने की ही सम्भावना बताई जा रही है। इस बार के चुनाव चुनाव को लेकर बड़े बड़े राजनेताओं से लेकर चुनाव पंडित तक भी हैरान रहे कि यह पहला चुनाव है जो किसी नेता या पार्टी का ना होकर केवल जनता ने अपने ही तरीके से लड़ा।
जहां भाजपा प्रत्याशी से फरीदाबाद के लोगों की नाराजगी इस चुनाव में मोदी मैजिक पर भारी पड़ती नजर आई है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप सिंह का उनके ही अपने कांग्रेस नेताओं ने अन्तर्मन से साथ नहीं दिया। ये नेता पूरे चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के प्रचार बागडोर तो जोर शोर से उठाते नजर आये। लेकिन अपना चुनाव समझ कर नहीं लडे । यही कारण है कि विधानसभा क्षेत्र तिगांव और पलवल में कांग्रेस लोकसभा प्रत्याशी के इस चुनाव में पिछड़ने की संभावना जताई जा रही है। जबकि हथीन,बड़खल , पृथला, और एनआईटी में उन्हें बढ़त बताई जा रही है। ऐसा नहीं है कि भाजपा उम्मीदवार को को वोट नहीं मिले है। साइलेंट वोटर और मोदी के नाम पर उन्हें सभी जगह अच्छे मत मिले है। लेकिन शहरी क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत कम होने का नुकसान भी उन्हें उठाना पड़ सकता है। ऊपर से इस बार भाजपा नेताओं की सक्रियता भी चुनाव को उस मुकाम तक पहुंचाती नजर नहीं आयी, जो पिछले दो चुनावों में थी।
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