HEADLINES


More

अब किताब, कॉपी व ड्रेस की आड़ में हो रही है लूट

Posted by : pramod goyal on : Tuesday 2 April 2024 0 comments
pramod goyal
//# Adsense Code Here #//

 नए शिक्षा सत्र में स्कूल प्रबंधकों ने शिक्षा निदेशक की मंजूरी के बिना ही ट्यूशन फीस व अपनी मर्जी से बनाए गए गैरकानूनी फडों में काफी बढ़ोतरी कर दी है। इससे अभिभावक खासे परेशान हैं अब स्कूल संचालकों द्वारा एनसीईआरटी की किताबों की जगह प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबों को खरीदवाने से उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है। अभिभावकों का कहना है कि जब पेपर एनसीईआरटी की किताबों के सिलेबस के आधार पर आता है तो फिर स्कूलों में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें क्यों लगाई जा रही है। वैसे भी प्राइवेट प्रकाशकों की किताबों की कीमत एनसीईआरटी की किताबों से काफी ज्यादा है। अभिभावकों का यह भी आरोप है कि जो कॉपी बाजार में


₹20 की मिल रही है स्कूल वाले उसके कवर पेज पर अपने स्कूल का नाम लिखकर उसे ₹60 में बेच रहे हैं। नए छात्र पुराने छात्रों से किताब लेकर पढ़ाई ना कर सकें इसके लिए पुरानी किताबों के एक दो पाठ्यक्रम को बदल दिया गया है। यानी स्कूल संचालक लूटने का हर प्रकार का हथकंडा अपना रहे हैं। हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि स्कूलों की यह सब मनमानी जिला प्रशासन व जिला शिक्षा अधिकारी को पता है लेकिन स्कूल संचालकों की सशक्त लॉबी के दबाब में और आपसी सांठ-गांठ के चलते दोषी स्कूल संचालकों के खिलाफ कोई भी उचित कार्रवाई नहीं हो रही है। मंच का य़ह भी आरोप है कि बेन होने के बावजूद स्कूलों के अंदर किताब कॉपी वर्दी स्टेशनरी की दुकान खुली हुई हैं इन दुकानों से खुल्लम खुल्ला प्राइवेट प्रकाशकों की किताबों के साथ नर्सरी से पहली कक्षा तक के बच्चों को दो से तीन हजार रुपए, कक्षा दो से पांचवीं तक चार से पांच हजार रुपये, कक्षा नौवीं से 12वीं तक सात से 10 हजार रुपये का सेट बेचा जा रहा है, जबकि बाजार में एनसीईआरटी किताबों के साथ यही सेट 600 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक का है। यह खुल्लम-खुल्ला लूट है। कुछ संचालक बाहर बताई गई दुकानों से ही किताब कॉपी खरीदने के लिए अभिभावकों पर दबाव डाल रहे हैं। शिक्षा नियमावली का नियम है कि 5 साल से पहले स्कूल वर्दी नहीं बदल सकते लेकिन कई नामी  गिरामी स्कूलों सहित अन्य स्कूलों ने 2 साल बाद ही वर्दी बदल दी है इतना ही कई स्कूलों  ने तो सप्ताह में अलग-अलग दिनों की अलग-अलग वर्दी तय की है। मंच के लीगल एडवाइजर एडवोकेट बी एस विरदी ने कहा है कि स्कूल संचालकों की प्रत्येक मनमानी को रोकने के लिए मंडल कमिश्नर की अध्यक्षता में फीस एंड फंडस रेगुलेटरी कमेटी (एफएफआरसी) का गठन किया गया है लेकिन चेयरमैन एफएफआरसी कम मंडल कमिश्नर भी इस मनमानी पर   मौन साधे हुए हैं। कैलाश शर्मा ने प्रेस के माध्यम से शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा से मांग की है कि वे प्राइवेट स्कूलों की इन मनमानियां पर रोक लगवाएं,

जिन स्कूल संचालकों ने फॉर्म 6 जमा कराए बिना और शिक्षा निदेशक की मंजूरी के बिना फीस बढ़ा दी है उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। इसके अलावा य़ह सुनिश्चत किया जाए कि स्कूलों के अंदर किताब कॉपी की दुकान ना खुलें, अभिभावक कहीं से भी इनको खरीदने के लिए स्वतंत्र होंगें इसके अलावा नियमानुसार एनसीईआरटी की किताबें ही स्कूलों में लगवाई जाएं। मंच ने अभिभावकों से भी कहा है कि  वे एकजुट होकर स्कूलों की प्रत्येक मनमानियों का खुलकर विरोध करें।

No comments :

Leave a Reply