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शिक्षा का अधिकार कानून आरटीई के तहत जरूरतमंद बच्चों को दाखिला देने में प्राइवेट स्कूल संचालक कोई रुचि नहीं ले रहे हैं। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने कहा है कि वे तरह-तरह के अड़ंगे लगाकर दाखिला नहीं दे रहे हैं। एडमिशन के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट ले रहे हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने इसे राइट टू एजूकेशन का उल्लंघन बताते हुए सख्त रवैया अपनाया है शिक्षा निदेशक पंचकू
ला की ओर से 19 अप्रैल को सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को इसको लेकर लेटर जारी किया गया है। इसमें निर्देश दिए गए हैं कि यदि कोई भी स्कूल स्क्रीनिंग टेस्ट लेते हुए पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए उस पर 25 से 50 हजार तक का जुर्माना लगाया जाए। दरअसल नए शिक्षा सत्र में इन दिनों स्कूलों में एडमिशन किए जा रहे हैं। शिक्षा विभाग को शिकायत मिली थी कि कुछ स्कूल बच्चों का स्क्रीनिंग टेस्ट ले रहे हैं, जो नियमों के विपरीत है। इसको देखते हुए विभाग की ओर से इस आशय का लेटर जारी किया गया है। मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि स्कूल संचालक शिक्षा के अधिकार के किसी भी नियम को नहीं मानते हैं एक नियम यह है कि प्रत्येक स्कूल 25% दाखिला गरीब व पिछड़े परिवारों के बच्चों को अनिवार्य रूप से देगा और उनसे कोई भी फीस नहीं लेगा लेकिन कोई भी स्कूल इस नियम का पालन नहीं करता है। कुछ स्कूल इस नियम का पालन करने के नाम पर बच्चों से कई कई तरह के कागज मांगते हैं। जिन पर सब कागज होते हैं उन बच्चों को स्क्रीन टेस्ट के नाम पर फेल करके दाखिला देने से मना कर देते हैं। इन सब बातों की जानकारी शिक्षा विभाग के पास होती है लेकिन वह "चोर से कह चोरी कर,साह से कह सावधान रह" की नीति अपनाकर दोषी स्कूलों के खिलाफ सिर्फ दिखावे की कार्रवाई करता है
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