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‘भारत-2047: एक विजन’ विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन

Posted by : pramod goyal on : Friday 22 March 2024 0 comments
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 फरीदाबाद, 22 मार्च - भारत सेवा प्रतिष्ठान के संयुक्त तत्वावधान में जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद द्वारा ‘भारत-2047: एक विजन’ विषय पर आज एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में 200 से ज्यादा प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

इस अवसर पर सामाजिक वैज्ञानिक श्री रवि अय्यर सत्र में उद्घाटन वक्ता तथा डीआरडीओ के पूर्व महानिदेशक डाॅ. सुदर्शन कुमार मुख्य वक्ता रहे। सत्र में जम्मू कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डाॅ. जे.पी. शर्मा मुख्य अतिथि रहे। अतिथि वक्ताओं ने संगोष्ठी में विकसित भारत की भारतीय अवधारणा, अर्थव्यवस्था, कृषि, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, शोध एवं नवाचार, पर्यावरण, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे उपविषयों पर चर्चा की। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथि वक्ताओं द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ। इसके उपरांत भारत सेवा प्रतिष्ठान के चेयरमैन श्रीकृष्ण सिंघल ने प्रतिभागियों को संगोष्ठी के विषय-वस्तु तथा अतिथि वक्ताओं से परिचित करवाया। उन्होंने भारत सेवा प्रतिष्ठान की गतिविधियों को लेकर भी विस्तार से जानकारी दी। 
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए जे.सी. बोस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर ने अतिथि वक्ताओं का स्वागत किया तथा संगोष्ठी को आगे बढ़ाते हुए विषय-वस्तु की प्रासंगिता पर चर्चा की। प्रो. तोमर ने कहा कि वर्ष 2047 तक देश को उन्नत राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की परिकल्पना एक ऐसा सामूहिक प्रयास है जो नवाचार, समावेशिता और सतत विकास पर आधारित है और जिसमें सबकी भागीदारी निहित है। विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अनुसंधान और नवाचार को उन्नत भारत की दिशा में महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि देश में जिज्ञासा की संस्कृति को प्रोत्साहित करने की आव

श्यकता है तथा अनुसंधान एवं विकास के बुनियादी ढांचे में निवेश को बढ़ाना होगा। उन्होंने अंतःविषय सहयोग, तकनीकी प्रगति तथा गंभीर सामाजिक चुनौतियों को हल करने के लिए नवाचार को प्रोत्साहित करने की जरूरत पर भी बल दिया। 

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए श्री रवि अय्यर ने नई प्रौद्योगिकी से उत्पन्न चुनौतियों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी की प्रगति हमेशा सुखद हो यह जरूरी नहीं। उन्होंने डिजिटल क्षेत्र में प्रौद्योगिकी उन्नति के कारण कोडक और नोकिया कंपनियों का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रौद्योगिकीय उन्नति के अनुरूप कदम न उठाने के कारण कई उद्यम आगे नहीं बढ़ सके। दूसरी तरफ उन्नत राष्ट्र के रूप में स्थापित अमेरिका और चीन का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इन देशों की तरक्की का मूल कारण प्रौद्योगिकी है। 
सत्र के मुख्य वक्ता डाॅ सुदर्शन कुमार ने वर्ष 2047 तक उन्नत भारत की परिकल्पना को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि भारत से दो साल बाद आजाद होने वाला चीन कैसे सुपरपावर बना और देश ने कहां चूक की। उन्होंने देश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की प्रगति को लेकर भी विस्तार से चर्चा की।
सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डाॅ. जे.पी. शर्मा ने देश की प्रगति में युवाओं की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि युवाओं को समर्थवान बनाने में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 का योगदान महत्वपूर्ण रहेगा। उन्होंने युवाओं के कौशल विकसित और व्यवसायिक पाठ्यक्रमों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि युवाओं में उद्यमशीलता की भावना को प्रेरित करने के लिए स्टार्टअप, नवाचार और स्वरोजगार को प्रोत्साहन देना होगा। सत्र के अंत में ग्रीन इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट के अध्यक्ष डाॅ जगदीश चौधरी ने सभी वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया। 
कार्यक्रम को ले. जनरल वी.के. चतुर्वेदी, रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति डाॅ रजनीकांत, केन्द्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के कुलपति प्रो. एस.पी. बंसल और पश्चिमी कमान के पूर्व चीफ लेफ्टिनेंट जनरल के.जे. सिंह ने भी संबोधित किया। संगोष्ठी की विषय-वस्तु को लेकर छात्र संवाद सत्र का आयोजन भी किया गया। इस अवसर पर जे.सी. विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. दिनेश कुमार, पूर्व कुलसचिव डाॅ. सुनील कुमार गर्ग, आईओसीएल के पूर्व वैज्ञोनिक गंगाशंकर मिश्र, शिक्षाविद डाॅ सविता भगत भी उपस्थित रहे।

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