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दिव्यांगजन नरेश मनवाना मसाजर के जरिए स्वयं रोजगार कर दूसरों को दे रहे हैं रोजगार

Posted by : pramod goyal on : Thursday 15 February 2024 0 comments
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 सूरजकुंड (फरीदाबाद),15 फरवरी। 37वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले में गुजराती  दिव्यांगजन नरेश भाई मनवाना ने बड़ी चौपाल के साथ वाले एनएफडीसी ब्लॉक में दुकान स्टॉल-226 लगाई है, जहां वह चेयर मसाजर, हैंडल मसाजर, थ्री डी मसाजर, घर में जा


ले की साफ-सफाई करने वाला झाडू और यूएसबी लैम्प बनाने के मटेरियल को पर्यटकों को बेच रहे है। वहीं नरेश भाई ने तीन लोगों को रोजगार भी दे रखा है।

गुजरात के 43 वर्षीय नरेश भाई मनवाना का कहना है कि उसने नेशनल दिव्यांगजन फाइनेंस एंड डेवलपमेंट से दो साल पहले बिना ब्याज के 10 हजार रुपए के लोन से व्यापार शुरू किया था, जिसने उसे निर्धारित समय पर बिना ब्याज के ही चुकाया। फिर उनकी लिमिट 25 हजार रुपए की एनएफडीसी द्वारा बैंक में करवाई गई। उन्होंने बैंक के निर्धारित समय पर 25 हजार रुपए का लोन बिना ब्याज के चुकता किया, जिससे अब उनकी लिमिट लाखों में हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने कि दिव्यांगजन भी स्वयं रोजगार करके आत्मनिर्भर बनें को नरेश भाई साकार कर रही हैं। गुजरात के नरेश भाई मनवाना मसाजर के व्यापार के माध्यम से सालाना 5 से 6 लाख रुपए तक कमा लेते हैं। हिम्मत कभी हार नहीं मानती, वह हमेशा मनुष्य को प्रोत्साहित करती रहती है, जो व्यक्ति कभी हिम्मत नही हारता वह अपने मुकाम को जरूर हासिल कर लेता है। नरेश भाई मनवाना मसाजर के जरिए अपना स्वयं रोजगार स्थापित कर अन्य लोगों को भी रोजगार देकर आत्मनिभर बना रहे हैं। नरेश भाई ने बताया कि उन्होंने नेशनल दिव्यांगजन फाइनेंस डेवलपमेंट (एनडीएफसी) के जरिए लोन लेकर अपना शिल्प मसाजर का रोजगार शुरू किया, जिसके जरिए वह एनएफडीसी द्वारा देश के विभिन्न क्षेत्रों में लगाए गए मेलों में जाकर अपना व्यापार कर रहे है। वह मुंबई, गोवा, चेन्नई, हैदराबाद, सूरत, नागपुर, मध्य प्रदेश में लगने वाले सभी मेलों में अपनी दुकान सजाते है और वहां व्यापार करते है। नरेश भाई मनवाना सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले में पहली बार आए हैं। नरेश भाई मनवाना मसाजर को 200 रुपए से लेकर 5 हजार रुपए तक बेच रहे हैं। वहीं यूएसबी लैंप को 50 रुपए और झाडू की 200 रुपए में बिक्री कर रहे हैं।

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