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राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सराय ख्वाजा फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में विजय दिवस पर देश के लिए न्योछावर हुए वीरों को नमन करते हुए श्रद्धांजलि देते हुए कृतज्ञता अर्पित की। सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड और जूनियर रेडक्रॉस प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा
कि हम सभी देशवासी मुक्ति योद्धाओं, वीरांगनाओं और भारतीय सशस्त्र बलों के वीरों द्वारा महान वीरता और बलिदान को याद करते हुए नतमस्तक हैं। देश के वीर सपूतों ने मिलकर दमनकारी शक्तियों से लड़ाई लड़ीं और उन्हें हराया। 16 दिसंबर 1971 की ऐतिहासिक जीत की प्रसन्नता आज भी प्रत्येक देशवासी के मन को उमंग से भर देती है। इस दिन को हमलोग विजय दिवस के रूप में मनाते हैं। प्राचार्य मनचंदा ने बताया कि इसी दिन भारत ने पाकिस्तान के दांत खट्टे किए थे। सोलह दिसंबर का दिन सैनिकों के शौर्य को नमन करने का दिन है। इस दिन ढाका में तिरानवे हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया था। तेरह दिन तक चले इस युद्ध में हमारे भारतीय सैनिकों ने अद्वितीय साहस से शत्रु सेना को परस्त किया था। हमारे देश भारत में अनन्य वीर सैनिकों ने जन्म लिया है जिनके विजय की गाथाएं सदैव सुनाई जाती रहेंगी। भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध दो मोर्चों पर लड़ा गया था। यह युद्ध 3 दिसम्बर 1971 को प्रारंभ हुआ था। यह युद्ध पूर्वी तथा पश्चिमी मोर्चे पर भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई। जिसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान के लेफिनेंट जनरल ए. के. नियाजी ने 16 दिसम्बर 1971 को आत्मसमर्पण पत्र पर हस्ताक्षर किए। उनके साथ 93000 पाकिस्तानी सैनिकों ने भी आत्मसमर्पण किया। इस युद्ध के साथ ही पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्रता हुआ तथा बांग्लादेश के रूप में एक नया राष्ट्र बना। 1971 के युद्ध में शहीद वीर सैनिकों के सम्मान में नई दिल्ली में इंडिया गेट के पास अमर जवान ज्योति का निर्माण करवाया गया था। इसका उद्घाटन 26 जनवरी 1972 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी द्वारा किया गया था। प्राचार्य मनचंदा और अध्यापकों ने विजय दिवस पर छात्राओं सिया, प्रीति और नेहा का देश के वीर सैनिकों के प्रति आभार और कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए आभार प्रकट किया कहा कि देश के वीर सैनिकों और उन के परिवार का समस्त देश सदैव ऋणी रहेगा।
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