फरीदाबाद 20 सितंबर सेंटर आफ इंडियन ट्रेड यूनियन जिला कमेटी फरीदाबाद, ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत कार्यरत वर्करों के लिए एक समान वेतनमान निर्धारित करने की मांग की। यूनियन के जिला सचिव वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने बताया कि दिल्ली सरकार अपने मजदूरों को 18 हजार रूपए न्यूनतम वेतन दे रही है। जबकि हरियाणा के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत औद्योगिक शहरों जैसे फरीदाबाद, और गुड़गांव, बहादुरगढ़ और सोनीपत के कारखाने में काम करने वाले वर्करों का न्यूनतम वेतन मात्र 10 हजार रूपए है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के अंतर्गत कार्यरत वर्करों को एक जैसा वेतन मान देने की मांग की। उन्होंने कहा कि देश की राजधानी से सटे हुए सभी शहरों में महंगाई एक समान है। लेकिन वेतनमानों में काफी अंतर है। हर शहर में अलग-अलग मजदूरी दी जाती है। सीटू ने केंद्र और राज्य सरकारों से न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए संशोधित करने की मांग की। इस तरह की अन्य मांगों को लेकर आज बुधवार को उप श्रम आयुक्त के कार्यालय के सामने जोरदार प्रदर्शन किया गया। इन प्रदर्शनों के माध्यम से 11 सूत्री मांग पत्र प्रदेश के श्रम मंत्री श्री अनूप धानक, और देश के श्रम मंत्री को अलग-अलग भेजे गए। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार विभिन्न कारखानों में काम करने वाले श्रमिक सेक्टर 12 स्थित डीएलसी कार्यालय के समीप एकत्रित हुए। यहां पर एक सभा हुई। इसकी अध्यक्षता जिला प्रधान निरंतर पाराशर ने की। सभा को संबोधित करते हुए सीटू के जिला सह सचिव और कामगार यूनियन के जॉइंट सेक्रेटरी वीरेंद्र पाल ने जिला श्रम विभाग के अधिकारियों पर मजदूरों के पक्ष को नहीं सुनने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मजदूर के हजारों केस जिला श्रम विभाग के कार्यालय में लंबित पड़े हुए हैं। इनकी सुनवाई नहीं होती है। फैक्ट्री का वर्कर श्र
म विभाग के चक्कर काटता रहता है। लेकिन उसको न्याय नहीं मिलता है। आज की सभा को ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन के जिला सचिव और सीटू जिला कमेटी सदस्य दिनेश पाली ने भी संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि कई कारखाने में श्रमिकों का भारी शोषण हो रहा है। मजदूरों को ईएसआई और पीएफ की सुविधा भी नहीं मिल रही है। यह सरकार मलिकों के पक्ष को तो सुन लेती है।लेकिन मजदूरों के पक्ष पर कार्रवाई नहीं करती है। सभा को सीटू के उप प्रधान केपी सिंह, और रवि ने भी संबोधित किया। दोनों नेताओं ने बताया कि श्रम विभाग के अधिकारी अब कारखाने में नहीं जाते हैं। मजदूरों को किन हालातों में काम करना पड़ रहा है। कंपनी के प्रबंधक उनसे कितना काम ले रहे हैं। और कितनी सुविधा दे रहे हैं। यह अब जांच पड़ताल का विषय नहीं रह गया है। कारखाने में काम करने का वातावरण नहीं है। कई कारखाने में शौचालय तो नाम मात्र के लिए हैं। उनकी सफाई वर्षों तक नहीं होती है। यूनियन की मांगे निम्न प्रकार हैं। पूरे एनसीआर क्षेत्र में एक समान वेतन भत्ते दिए जायें। न्यूनतम वेतन संशोधित करके 26000 रुपए प्रतिमाह किया जाए। ठेका मजदूरों को न्यूनतम वेतन दिया जाए।
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