//# Adsense Code Here #//
फरीदाबाद 29 सितंबर आशा वर्कर यूनियन की हड़ताल आज 54 वें दिन भी जारी रही। सरकार की टालमटोल की नीति से खफा हुई बैठी आशा वर्करों ने जमकर सरकार विरोधी नारे लगाए। आशा वर्कर उनका न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपए संशोधित करने, आशा वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने, ईएसआई और पीएफ का
लाभ प्रदान करने, सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष किए जाने और एक्टिविटी की काटी गई राशियों का भुगतान करने सहित ऑनलाइन काम के आदेशों को रद्द करने की मांगों को लेकर 8 अगस्त से हड़ताल पर हैं। लेकिन हरियाणा की सरकार इनकी हड़ताल को गंभीरता से नहीं ले रही है। आशा वर्करों की हड़ताल पर जाने से स्वास्थ्य विभाग की सेवाएं पूर्ण रूप से प्रभावित हो रही है। लेकिन सरकार को आम जनता की भी परवाह नहीं है। आज की हड़ताल की सभा की अध्यक्षता उप प्रधान अनीता भारद्वाज ने की। कार्रवाई का संचालन सुशील चौधरी कर रही थी। इस मौके पर सीटू के जिला प्रधान निरंतर पाराशर और जिला सचिव वीरेंद्र सिंह डंगवाल, रिटायर कर्मचारी संघ के नेता नवल सिंह विशेष रूप से उपस्थित रहे। आशाओं को संबोधित करते हुए सीटू के जिला सचिव वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने सरकार पर आशा वर्करों की हड़ताल की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। सरकार बातचीत करके समस्याओं का समाधान नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि आशा वर्कर 2005 से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत स्वास्थ्य सुविधाएं जनता तक पहुंचाने का काम कर रही हैं। आशा वर्करों ने कोरोना काल में रिकॉर्ड तोड़ काम किया। जिसके फल स्वरुप विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी उनके कार्य की सराहना की। स्वास्थ्य विभाग में सबसे महत्वपूर्ण काम करने वाली आशा वर्कर्स को थोड़ी सी प्रोत्साहन राशि दी जाती है। केंद्र हो या राज्य सरकार आशा वर्करों पर उनकी बुनियादी कार्यों के अलावा रोज नए-नए काम करने का दबाव बना रही है। आशा वर्कर पर सभी प्रकार के सर्वे ऑनलाइन करने, एनसीडी का सर्वे ऑनलाइन करने, आयुष्मान भारत कार्ड की केवाईसी करने, कार्ड जनरेट करने, टीवी के सर्वे करने, और तो और गांव में नशा करने वालों की संख्या कौन किस प्रकार का नशा करते हैं। इसका सर्वे जैसे अनेक कार्यों को करने का भी लगातार दबाव बनाया जा रहा है। यह सभी कार्य सरकार आशा वर्करों से मुफ्त में करवा रही हैं। इन कार्यों को करने के बाद किसी भी प्रकार की प्रोत्साहन राशि नहीं दी जाती है। इनके मानदेय और प्रोत्साहन राशियों में पिछले 5 वर्ष से वृद्धि नहीं हुई है। यदि आशा वर्कर सम्मानजनक वेतन की मांग करती हैं। तो उन्हें स्वयंसेवी कहा जाता है। परंतु अतिरिक्त कार्य नहीं करने पर नौकरी से हटा देने का दबाव बनाया जा जाता है। आशा वर्कर्स के लिए रोज नए-नए धमकी भरे पत्र जारी किए जाते हैं। पहले से तय प्रोत्साहन राशियों में कटौतियां की गई है। सरकार की इस दमन और उत्पीड़न की नीतियों के खिलाफ आशा वर्करों को मजबूरन हड़ताल पर जाना पड़ा। इससे पहले यूनियन ने चरणबद्ध तरीके से आंदोलन शुरू किया। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के सामने में जून के महीने में प्रदर्शन करके जुलाई में जिला मुख्यालय पर भी रोष करवाई हुई। लेकिन सरकार ने आशाओं की मांगों को लागू करने के लिए किसी भी प्रकार की बैठक नहीं बुलाई। हड़ताल के बाद जब 28 अगस्त को विधानसभा घेराव का कार्यक्रम घोषित किया गया। तब 27 अगस्त से ही प्रदेश भर में आशा वर्कर्स की गिरफ्तारी शुरू कर दी गई। पंचकूला पहुंचने नहीं दिया गया। जो वर्कर पंचकूला पहुंची उन पर बर्बरता पूर्वक कार्रवाई की गई। सैकड़ो आशा वर्करों और सीटू के नेताओं को पुलिस थानों में बंद किया गया। उन्होंने सरकार की दमनकारी नीतियों की कडे शब्दों में निंदा की। और बताया कि यूनियन ने 25 सितंबर को जेल भरो आंदोलन का ऐलान किया। जिसमें हजारों आशा वर्करों ने जेल भरो आंदोलन के तहत प्रदेश के पुलिस थानों में गिरफ्तारियां भी दी। सरकार ने गिरफ्तारी लेने से हाथ खड़े कर दिए। इसके बावजूद भी उनकी मांगों को लागू नहीं किया जा रहा है। यूनियन ने निर्णय लिया है कि जब तक मांगे नहीं मान ली जाती हैं। तब तक हड़ताल जारी रहेगी। इस मौके पर आशा वर्करों को रेखा शर्मा, चंद्रप्रभा, शाहीन परवीन, संगीता, आदि ने भी संबोधित किया।
No comments :