फरीदाबाद। श्री धार्मिक लीला कमेटी के निर्देशक हरीश चन्द्र आज़ाद ने बताया कि प्रत्येक कलाकर रोजाना रात 12 बजे तक अभ्यास करके अपने-अपने अभिनय को निखार रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमारी रामलीला के ज्यादातर कलाकार दुकानदार हैं इसलिये वह अपनी दुकाने बड़ाकर अभ्यास के लिये आते हैं और रात 9:30 बजे से करीब 12:30 बजे तक अभ्यास करते हैं।
आज़ाद ने बताया कि कल रात सीता स्वयंवर के दृश्यों का अभ्यास किया गया जिसमें जनक की भूमिका निभा रहे रोहित खरबंदा ने अपनी दर्द भरी आवाज के साथ अभ्यास किया उसके बाद रावण व लक्ष्मन के तीखे संवादों का अभ्यास किया गया जोकि रामलीला का सबसे ज्यादा क्रोधित सीन होता है। रावण के किरदार में तेजिन्द्र खरबंदा ने अपनी गर्जीली आवाज़ और अदभुत अभिनय का अभ्यास करके अपने अभिनय की छाप छोड़ी तो लक्ष्मन का अभिनय कर रहे राजू खरबंदा ने अपनी गूँजती आवाज़ व चंचल अभिनय का अभ्यास किया। सीता स्वयंवर में सबसे ज्यादा दर्शकों का ध्यान लक्ष्मन अपनी ओर खीचंते है क्योंकि उस दिन लक्ष्मन तीन बार क्रोधित होते हैं जिसमें वह परशुराम के साथ भी अपने क्रोधित संवादों से गर्जते हैं। कल के अभिनय में परशुराम के किरदार में पंकज बत्तरा ने अपनी कला को निखानरे का अभ्यास किया। वहीं राम के किरदार में जितेश गेरा व विश्वामित्र का अभिनय करते हुए अमित नागपाल ने भी पसीना बहाया।
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