HEADLINES


More

विश्व हाइपरटेंशन दिवस - हाइपरटेंशन से बचाव के लिए स्वस्थ जीवन शैली आवश्यक

Posted by : pramod goyal on : Wednesday 17 May 2023 0 comments
pramod goyal
Saved under : , ,
//# Adsense Code Here #//

 गवर्नमेंट मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल सराय ख्वाजा फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस, सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड और गाइड्स ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में विश्व हाइपरटेंशन दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कर तनाव रहित स्वस्थ जीवन जीने का संदेश दिया।


जूनियर रेडक्रॉस एवम सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि इस बार की थीम अपने बी पी को मापे, नियंत्रित करें और लंबे समय तक जीवित रहें, रखा गया है। भागम भाग की दौड़ में और बदलती दिनचर्या के साथ हमारा रक्तचाप भी बढ़ रहा है। ऐसे में बहुत आवश्यक है कि इस पर नियंत्रण पाया जाया क्योंकि विश्व का हर चौथा व्यक्ति इस समस्या से ग्रस्त है। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि एक सामान्य व्यक्ति का ब्लड प्रेशर एक सौ बीस अस्सी होता है। यदि यह एक सौ चालीस नव्वे या इस से ऊपर जाता है तो इस स्थिति को हाइपरटेंशन कहा जाता है। प्राचार्य ने कहा कि तनाव मुक्त दिनचर्या अपनाने की आवश्यकता है और किसी भी प्रकार से अपने आप को सकारात्मक रूप से ऊर्जावान बनाए रखें। अव्यवस्थित दिनचर्या, मोटापा तथा जेनेटिक कारणों से भी हाइपरटेंशन की समस्या होती है। रविंद्र मनचंदा और सभी अध्यापकों ने बताया कि रक्तचाप के बढ़ने पर हार्ट पर दबाव पड़ने लगता है जो कि स्वास्थ्य की दृष्टि से उचित नहीं है। हाई ब्लडप्रेशर या हाईपरटेंशन का खतरा महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में होता है। जीवन में हमें बहुत प्रकार की मीठी-कड़वी बातों से दो चार होना पड़ता है। ऐसे में क्रोध आना स्‍वाभाविक है। परंतु क्रोध यदि आदत का रूप ले लें तो यह चिंताजनक है बात बात पर क्रोध करने से हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। तनाव फैमिली हिस्ट्री, गलत खानपान और बदलता लाइफ स्टाइल आदि से भी संभव है इस से बचाव के लिए डाइट और लाइफ स्टाइल पर ध्यान देने की जरूरत है बल्कि तनाव को कम करना और शरीर को सक्रिय बनाए रखने के लिए एक्सरसाइज भी बहुत जरूरी है। प्राचार्य मनचंदा ने बताया कि उच्च रक्तचाप वयस्कों, बच्चों, स्त्री व पुरुष सभी को प्रभावित करता है। अधिक भार वाले लोगों को ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन की बीमारी ही नहीं बल्कि हृदय, गुर्दा व रक्त नलिकाओं में इंफेक्शन की बीमारी भी होती है। व्‍यक्‍ति की भावनाओं, सोच, विचार और आदत में अंतर्संबंध होता है। विचार, सोच को प्रभावित करते हैं दूसरे पहलू पर यदि ध्यान दें तो आपकी आदतें भी विचार में और फिर विचार भावनाओं में परिवर्तन लाते हैं। इन तीनों में से किसी एक में भी बदलाव आने पर बड़ा बदलाव दिखाई देता है। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि हमें वर्तमान को अच्छे से जीना चाहिए। खानपान में बदलाव के लिए नमक कम करें, साथ ही खाने में ऐसी सब्जियों, फलों का सेवन करें, जिनमें अतिरिक्त शुगर और सैचुरेटेड फैट्स की मात्रा ज्यादा न हों। प्रतिदिन एरोबिक और रेजिस्टेंस व्यायाम करने से भी इस बीमारी के होने की आशंका कम हो जाती है। उन्होंने सभी को तनाव मुक्त जीवन जीने का संदेश दिया।

No comments :

Leave a Reply