तेल के दाम गिरने की आस में बैठे लोगों के लिए बुरी खबर। मामला बल्लभगढ़ की अनाज मंडी में देखने को मिला, जहां इस बार सरसों का समर्थन मूल्य सरकार द्वारा ₹5050 निर्धारित किया गया है तो वही निजी व्यापारी सरसो को करीब 6500 रुपए तक खरीद रहे हैं। ऐसे में जब किसानों को लगभग डेढ़ हजार रुपए अधिक कीमत व्यापारियों से मिलेगी तो जाहिर सी बात है कि व्या
पारी अपनी सरसों सरकार को देना नहीं चाहेंगे। अगर सरकार के पास सरसों प्रचुर मात्रा में नहीं पहुंच पाएगी तो सरसों के तेल की कीमत घटने के आसार दूर तक दिखाई नहीं दे रहे। वही जब इस विषय में बल्लभगढ़ अनाज मंडी के अतिथियों और मंडी सेक्टरी ऋषि कुमार की माने तो यदि सरकार कोई वैकल्पिक व्यवस्था जैसे कि विदेशों से आयात आदि ना करें तो सरसों के तेल की कीमत कम होने के ना के बराबर आसार हैं। यह सच है कि किसान रेट कम मिलने के कारण सरसों को मंडी में नहीं ला रहे हैं।
वही कुछ आढ़तियों और किसान की मानें तो अभी कुछ प्रतिशत किसान ऐसे हैं जो कि सरसों की कीमत और भी बढ़ने की उम्मीद में अपनी सरसो को रोक कर बैठे हैं और अपनी सरसों की फसल नहीं बेच रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि पिछले साल की तरह उनकी सरसों 8500 रुपए तक बिक जाएगी। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि सरसों के तेल की कीमतों के कम होने की आस में बैठे लोगों के लिए यह बुरी खबर है। किसान की माने तो सरकार ने समर्थन मूल्य ₹5050 तय किया है लेकिन जब निजी व्यापारी उनकी सरसो को 6000 से ऊपर दाम में खरीद रहे हैं तो दे भला मंडी में सस्ती सरसों क्यों बेचेगे।
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