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फरीदाबाद, 19 अप्रैल - जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के दो वैज्ञानिकों की शोध परियोजना का चयन एसईआरबी पावर अनुदान योजना के तहत हुआ है। प्रभावी फोटोडायनामिक और फोटोथर्मल कैंसर थेरेपी के लिए असरदार दवा के रूप में स्पाइरोपायरन आधारित मेटल कॉम्प्लेक्स विकसित करने पर आधारित शोध परियोजना को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (ए
सईआरबी) द्वारा वित्त पोषित किया जायेगा।विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ भावना उत्तम और डॉ अमित राजपूत की शोध परियोजना को एसईआरबी द्वारा 30 लाख रुपये के अनुदान के लिए स्वीकृत किया गया है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तावित परियोजना का उद्देश्य कैंसर रोगियों के इलाज के लिए प्रभावी और सस्ती पद्धति विकसित करना है।
कुलपति प्रो. एस.के. तोमर और कुलसचिव डॉ. एस.के. गर्ग ने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को उनके शोध अनुदान के लिए चयन पर शुभकामनाएं दी है। प्रो. तोमर ने कहा कि अनुदान निश्चित रूप से विश्वविद्यालय में अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देगा और मानव स्वास्थ्य की प्रमुख चिंता के रूप में कैंसर के खिलाफ कारगर समाधान प्रदान करेगा।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (एनसीआरपी) रिपोर्ट 2020 के अनुसार देश में कैंसर के मामलों की अनुमानित संख्या लगभग 13.9 लाख है और 2025 तक इसके बढ़कर 15.7 लाख होने की उम्मीद है।
परियोजना पर विस्तार से जानकारी देते हुए रसायन विभाग के अध्यक्ष डाॅ. रवि कुमार ने बताया कि इस परियोजना के तहत शोधकर्ता फोटो-स्विचेबल स्पिरोपायरन आधारित कार्बनिक अणुओं और उनके मेटल कॉम्प्लेक्स को विकसित करने के लिए काम करेंगे जोकि नियर इन्फ्रारेड रेडिएशन (एनआईआर) क्षेत्र में प्रकाश को अवशोषित कर सकते हैं और उच्च साइटोटोक्सिसिटी तथा झिल्ली की उच्च पारगम्यता के कारण फोटोथर्मल थेरेपी (पीटीटी) के लिए उपयोग किया जा सकता है। इस कार्य में उनका लक्ष्य मेटल कॉम्प्लेक्स के फोटोथर्मल गुणों की खोज और एनआईआर लेजर को विकिरणित करते समय तापमान के प्रभाव को समझने पर भी होगा तथा वे फोटोस्विचेबल आधारित अणुओं द्वारा कैंसर कोशिका मृत्यु के तंत्र का भी पता लगाएंगे।
एसईआरबी पावर अन्वेषी अनुसंधान में महिलाओं के लिए अवसरों को बढ़ावा देने का कार्यक्रम है जोकि भारतीय शैक्षणिक संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं में विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान के विभिन्न कार्यक्रमों के लिए वित्त पोषण में लैंगिक असमानता को कम करने के लिए तैयार किया गया है।
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