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कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया है अनुसंधान : कुलपति प्रो. एस.के. तोमर

Posted by : pramod goyal on : Friday 25 March 2022 0 comments
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 फरीदाबाद, 25 मार्च - जे.सी. बोस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद के अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) अनुभाग द्वारा ‘वैज्ञानिक लेखन’ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला में विशेषज्ञ वक्ता कुलपति प्रो. सुशील कुमार तोमर रहे। कार्यशाला विशेष रूप से विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों और शोधार्थियों के लिए थी।

सत्र की शुरुआत डीन (आरएंडडी) प्रो.

राजेश कुमार आहूजा द्वारा प्रो. तोमर के स्वागत के साथ हुई। प्रो. तोमर ने विद्यार्थियों में शोध कौशल को प्रोत्साहित करने पर बल देते हुए अनुसंधान और वैज्ञानिक लेखन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला तथा शोधकर्ताओं को नवीनतम अनुसंधान के लिए प्रेरित किया। इस सत्र में कुलसचिव डाॅ. एस.के. गर्ग भी उपस्थित रहे।

प्रो. तोमर, जो स्वयं एक जाने-माने गणितज्ञ एवं प्रबुद्ध अनुसंधानकर्ता है, ने शोधार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि अनुसंधान एक कभी न खत्म होने वाली प्रक्रिया है। अनुसंधान केवल विज्ञान, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका एक विशाल क्षेत्र है जहां साहित्य, इतिहास, भाषा, प्रबंधन और सामाजिक विज्ञान जैसे अन्य विषयों का भी अहम योगदान है। उन्होंने कहा कि शोध पत्र लिखने का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि हमें लिखते समय लक्षित पाठक को ध्यान में रखना चाहिए। यदि हम पाठक तक अपनी बात पहुंचाने में सफल होते हैं तो यह अच्छा लेखन है। एक अच्छे शोध लेख में प्रवाह होना चाहिए। शोध लेखन दिलचस्प होना चाहिए और निष्कर्ष तक इसका प्रवाह सही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शोध लेख का प्रत्येक भाग महत्वपूर्ण है।
उन्होंने वैज्ञानिक शोध पत्र लेखन में ध्यान देने वाले महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे प्रकाशक, साहित्य खोज करने की प्रक्रिया एवं अन्य मानदंडों को लेकर अहम जानकारी साझा की। कार्यशाला के अंत में उन्होंने प्रतिभागियों से अनुसंधान के विभिन्न क्षेत्रों पर चर्चा भी की तथा अहम जानकारी साझा की। कार्यशाला में सभी डीन और विभागाध्यक्षों के साथ-साथ विभिन्न विभागों के संकाय सदस्य एवं शोधार्थियों ने भी हिस्सा लिया। सत्र के समापन पर डीन इंस्टीट्यूशन्स प्रो. तिलक राज ने धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया। 

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