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फरीदाबाद, 10 फरवरी। फरीदाबाद नगर निगम कर्मचारियों के तीन दशक से अधिक समय तक नेता रहे लक्ष्मण टांक का कल देर सायं ह्रदय गति रूकने से निधन हो गया है, वे 68 वर्ष के थे। उनके परिवार में एक पुत्री और दो पुत्र हैं। 18 अक्टूबर 1954 को हथीन में जन्मे श्री टांक तत्कालीन फरीदाबाद कम्पलैक्स प्रशासन में 1 फरवरी 1975 को सफाई कर्मचारी के पद पर भर्ती हुए थे, इसके बाद 29 अप्रैल 1988 को सफाई दरोगा बने और फिर इन्हें पदोन्नति देकर 20 जनवरी, 2006 को सहायक सफाई निरीक्षक बना दिया गया। स्थानीय संजय गांधी मैमोरियल नगर स्थित शमशान घाट पर निगम के हजारों कर्मचारियों, समा
ज के गणमान्य व्यक्तियों के इलावा अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रांतीय प्रधान सुभाष लाम्बा, नगरपालिका कर्मचारी संघ, हरियाणा के प्रांतीय प्रधान नरेश कुमार शास्त्री, सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के जिला सचिव बलबीर सिंह बालगुहेर, नगर निगम सफाई कर्मचारी यूनियन के प्रधान गुरचरण खांडिया, नगर निगम माली यूनियन के प्रधान शाहाबीर खान, नगरपालिका कर्मचारी संघ हरियाणा के पूर्व महासचिव रतन लाल रोहिल्ला, पूर्व वरिष्ठ उपप्रधान चौधरी जिले सिंह, उपप्रधान यू.एम.खान, संघ के पूर्व नेता रामकिशन गुप्ता, बाल्मीकि समाज के नेता किशोरी लाल, लीलू भगवाना के इलावा राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री ए.सी.चौधरी, नगर निगम के पूर्व मुख्य अभियंता एन.के. कटारा और अधीक्षण अभियंता रमेश बंसल ने श्री टांक को श्रंद्धाजलि दी और कहा कि उनके नेतृत्व में लड़े गये संघर्ष को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।
नगरपालिका कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रांतीय प्रधान नरेश कुमार शास्त्री और पूर्व प्रांतीय महासचिव रतन लाल रोहिल्ला ने आज यहां जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए बताया कि दिवंगत श्री लक्ष्मण टांक वर्ष 1975 में कम्पलैक्स प्रशासन में डयूटी ज्वाईन करने से लेकर 31 अक्टूबर 2012 को सेवानिवृति तक 37 वर्ष तक नगर निगम कर्मचारियों के सर्वमान्य नेता रहे। उनके नेतृत्व में निगम कर्मचारियों ने अनेकों क्रांतिकारी आंदोलन करके काफी उपलब्धियां हासिल की, जिनमें हजारों कर्मचारियों की भर्ती करवाना फिर उन्हें पक्का करवाना, पैंशन की सुविधा लागू करवाना मुख्य रूप से शामिल हैं। वे नगरपालिका कर्मचारी संघ हरियाणा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और लंबे समय तक संघ के प्रांतीय उपप्रधान भी रहे। वर्ष 1996-97 में नगरपालिका कर्मचारियों की हड़ताल के दौरान नौकरी से बर्खास्तगी, पुलिसिया दमन, इरादे-ए-कत्ल के मुकदमें और तत्कालीन हविपा भाजपा सरकार की बर्बर तानाशाही भी उन्हें झुका नहीं पाई थी।
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