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फरीदाबाद,28 फरवरी। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने दो टूक शब्दों में कहा है कि बजट सत्र में पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल नही की तो आंदोलन तेज किया जाएगा। यह जानकारी देते हुए सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि संघ ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर 2 मार्च से शुरू हो रहे बजट सत्र में पुरानी पेंशन बहाल करने का फैसला लेने की मांग की है। उन्होंने बताया कि सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा 2 मार्च को आंगनवाड़ी
वर्कर्स की बर्खास्तगी के खिलाफ प्रदेश भर में प्रदर्शन करेगा। प्रदशनों में पुरानी पेंशन बहाली की मांग को प्रमुखता से उठाया जाएगा और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा। उन्होंने बताया कि वर्ष 2003 में भाजपा के नेतृत्व में केन्द्र में सत्तारूढ़ एनडीए सरकार ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय पूंजी द्वारा संचालित नव उदारीकरण की नीतियों को लागू करते हुए पुरानी पेंशन को समाप्त कर जनवरी,2004 से नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) को लागू किया था। अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में गठित तत्कालीन केन्द्र सरकार ने कैबिनेट की मंजूरी से प्रशासनिक आदेश जारी कर जनवरी,2004 से सेवा में आने वाले कर्मचारियों पर एनपीएस लागू की थी। उन्होंने बताया कि सेना को छोड़कर कर अद्ध सैनिक बलों सहित केन्द्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारियों पर एनपीएस लागू की गई थी। उन्होंने कहा कि इसके बाद 2013 में पेंशन फंड रेगुलेटरी डेवलपमेंट अथॉरिटी एक्ट को पारित किया गया था। उन्होंने बताया कि आल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट इंम्पलाईज फेडरेशन व सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा 2004 से ही एनपीएस का विरोध कर रहा है। उन्होंने कहा कि संगठन ने 20 राष्ट्रीय हड़ताल और दर्जनों बार संसद पर प्रदर्शन किए। लेकिन एनपीएस में कई संशोधन हुए हैं। लेकिन हम संशोधन नहीं पुरानी पेंशन बहाली चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक पुरानी पेंशन बहाली नहीं होगी राष्ट्रीय व राज्य में आंदोलन जारी रहेगा।
प्रदेशाध्यक्ष लांबा ने बताया कि नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के अनुसार कर्मचारी के मूल वेतन से दस प्रतिशत अंशदान और इतना ही अंशदान सरकार मिलाती है। रिटायरमेंट पर जमा हुई कुल राशि का 60 प्रतिशत हिस्सा कर्मचारी को नकद दे दिया जाता है और 40 प्रतिशत हिस्सा शेयर बाजार में निवेश कर दिया जाता है। शेयर बाजार के उतार चढ़ाव के अनुसार पेंशन का निर्धारण किया जाता है। उन्होंने बताया कि एनपीएस प्रदत्त सेवा निवृत्त हुए कर्मचारियों को एक हजार से लेकर ढाई हजार तक ही पेंशन मिल पा रही है। उन्होंने बताया कि जनवरी,2004 से लागू पुरानी पेंशन व्यवस्था में कर्मचारी को अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन मिलने की गारंटी होती है। पुरानी पेंशन व्यवस्था में जीपीएफ कटता है कि एनपीएस में सीपीएफ की कटौती होती है। उन्होंने बताया कि सांसदों व विधायकों को आज भी पुरानी पेंशन स्कीम के तहत पेंशन मिल रही है। उन्होंने बताया कि सांसद व विधायक लाखों रुपए पेंशन ले रहे हैं और कर्मचारी 30 से 35 साल सेवा उपरांत भी पेंशन से वंचित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी को दी जाने वाली पेंशन दया व भीख नहीं है बल्कि उसके द्वारा जवानी अवस्था में की गई सेवा के उपरांत उसका हक है। जिसको सरकार ने जबरन छीन लिया है। जिसके खिलाफ कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
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