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राष्ट्रीय युवा दिवस - युवाओं के प्रेरणास्तोत्र हैं स्वामी विवेकानंद

Posted by : pramod goyal on : Wednesday 12 January 2022 0 comments
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 राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन आई टी तीन फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय युवा दिवस कार्यक्रम का वर्चुअल आयोजन किया गया। कोरोना महामारी की नवीनतम लहर में युवाओं की सभी को जागरूक करने और संक्रमण से बचाव में महत्वपूर्ण भूमिका है। विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में


मनाते हैं। उनका जन्मदिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाए जाने का प्रमु्ख कारण उनका दर्शन, सिद्धांत, अलौकिक विचार और उनके आदर्श हैं, जिनका उन्होंने स्वयं पालन किया और भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी उन्हें स्थापित किया। प्रधानाचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने बताया कि उनके ये विचार और आदर्श युवाओं में नई शक्ति और ऊर्जा का संचार करते हैं। उनके लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन सकते हैं। प्राचार्य मनचंदा और एक्टिविटीज कॉर्डिनेटर डॉक्टर जसनीत कौर ने बताया कि किसी भी देश के युवा उसका भविष्य होते हैं। उन्हीं के हाथों में देश की उन्नति की बागडोर होती है। आज के परिदृश्य में जहां चारों ओर भ्रष्टाचार, बुराई, अपराध का बोलबाला है, कोरोना संक्रमण भी निरंतर बढ़ रहा है, इस अवस्था में देश की युवा शक्ति को जागृत करना और उन्हें देश के प्रति कर्तव्यों का बोध कराना अत्यंत आवश्यक है। विवेकानंद जी के विचारों में वह क्रांति और तेज है जो सारे युवाओं में चेतना, ऊर्जा और सकारात्कमता का संचार कर देती है। स्वामी विवेकानंद की ओजस्वी वाणी भारत में उस समय उम्मीद की किरण लेकर आई जब भारत पराधीन था और भारत के लोग अंग्रेजों की ज्यादतियां सह रहे थे। चारों ओर दु्‍ख और निराशा के बादल छाए हुए थे। उन्होंने भारत के सोए हुए समाज को जगाया। यूथ आइकॉन विवेकानंद स्वामी जी को यु्वाओं से अत्यधिक आशाएं थीं। उन्होंने युवाओं की अहं की भावना को समाप्त करने के उद्देश्य से कहा है 'यदि तुम स्वयं ही नेता के रूप में खड़े हो जाओगे, तो तुम्हें सहायता देने के लिए कोई भी आगे न बढ़ेगा। यदि सफल होना चाहते हो, तो पहले ‘अहं’ का ही नाश कर डालो।' उन्होंने युवाओं को धैर्य, व्यवहारों में शुद्ध‍ता रखने, आपस में न लड़ने, पक्षपात न करने और हमेशा संघर्षरत् रहने का संदेश दिया। प्राचार्य मनचंदा और गणित प्राध्यापिका डॉक्टर जसनीत कौर ने छात्रा निशा, हर्षिता, सिया और कनिका का स्वामी विवेकानंद जी का चित्रण करने के लिए स्वागत किया। उन्होंने स्वामी जी को आधुनिक भारत का प्रेरणास्त्रोत बताते हुए उन द्वारा सुझाए गए मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

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