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फरीदाबाद 27 जनवरी -
आगनवाडी वर्कर और हेल्प र यूनियन की हड़ताल आज 50 वे दिन भी बदस्तूर जारी रही।काफी सर्दी के बावजूद भी सैकड़ों की संख्या में वर्कर व हेल्पर उपायुक्त कार्यालय के सम्मुख सेक्टर 12 में पहुंची। वहां पर जमकर नारेबाजी की। आज के प्रदर्शन का नेतृत्व जिले की वरिष्ठ उपप्रधान सुरेंद्र री ने किया। जबकि संचालन श्रीमती संतोष कर रही थी। इस मौके पर सीटू के जिला प्रधान निरंतर पाराशर,जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह डंगवाल उपस्थित रहे। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए सीटू के जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने जिला कार्यक्रम अधिकारी पर हड़ताली आंगनवाड़ी वर्कर और हेल्पर्स को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अधिकारी हड़ताली कर्मचारियों पर सेवाएं बर्खास्तगी का डर पैदा करके हड़ताल को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन अधिकारियों के इस रवैया से कर्मचारियों में किसी भी प्रकार का दबाव नहीं है। उन्होंने बताया कि बताया की दमनकारी नीतियों को अपनाने से आंदोलन और तेज होते हैं। समाप्त नहीं होते हैं। इसलिए सरकार को हठधर्मिता का रास्ता छोड़कर कर्मचारियों की मांगों को लागू करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दमन और उत्पीड़न की कार्रवाई का डटकर विरोध किया जाएगा। इसको किसी भी सूरत में सहन नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि जब तक कर्मचारियों की मांगों को लागू नहीं किया जाता है। तब तक हड़ताल निरंतर जारी रहेगी।इन्हीं मांगों को लेकर आंगनवाड़ी वर्कर्स और हेल्पर्स 8 दिसंबर से हड़ताल पर हैं।यूनियन ने इन मांगों को लेकर 5 जनवरी को करनाल में राज्य सत्रीय रैली भी कर ली। इसके बाद 12 जनवरी को जेल भरो आंदोलन भी सफलतापूर्वक पूरा किया है। इन दोनों कार्यक्रमों में पूरे प्रदेश से हजारों आंगनवाड़ी वर्करों और हेल्परों ने भाग लिया।फिर भी सरकार अड़ियल रवैया अपना रही है।यूनियन की मुख्य मांग है। कि मुख्यमंत्री के द्वारा 29 दिसंबर को की गई घोषणा को ज्यों का त्यों लागू किया जाए। प्रधानमंत्री के द्वारा वर्ष 2018 में वर्कर के वेतन में 15सौ रुपए की बढ़ोतरी और सहायिकाओं के वेतन में 750 रुपए की बढ़ोतरी को लागू किया जाए। वर्ष 2018 में की गई घोषणा के अनुसार कुशल और अकुशल का दर्जा देकर महंगाई भत्ते को मानदेय में जोड़ कर दिया जाए। आंगनवाड़ी वर्करों और हेल्परों को रिटायरमेंट पूर्व साधारण दुर्घटना होने पर इलाज का पूरा खर्चा मिले। मृत्यु होने पर अन्य विभागों की तर्ज तीन लाख का मुआवजा दिया। और मृतक के आश्रित को नौकरी प्रदान की जाए। आईसीडीएस में किसी भी प्राइवेट संस्था या एनजीओ को शामिल नहीं किया जाए। प्ले वे स्कूलों के नाम पर आईसीडीएस का निजीकरण नहीं होना चाहिए। नई शिक्षा नीति वापस ली जाए। वरिष्ठता के आधार पर वर्कर से सुपरवाइजर पदोन्नत किए जाए। विभाग द्वारा ऑनलाइन काम का ऑप्शन रखा जाए बिना फोन और संसाधन के इस मुद्दे पर हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना नहीं की जाए।हेल्परों को वर्कर बनाया जाए। आज के प्रदर्शन को राज्य प्रधान देवेंद्र री शर्मा, सीमा कोषाध्यक्ष ने भी संबोधित किया।
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