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फरीदाबाद। महारानी वैष्णोदेवी मंदिर में सातवें नवरात्रे पर भक्तों ने माँ कालरात्रि की भव्य पूजा अर्चना की। मंदिर में पहुंचे भक्तों ने हवन कुंड में अपनी आहूति दी तथा मां से अपने मन की मुराद मांगी। सुबह से ही मंदिर में भक्तों की लंबी-लंबी लाईन लगी थी और मां के दर्शनों के लिए घंटों अपनी बारी का इंतजार करते रहे। इस अवसर पर मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने सभी श्रद्धालुओं से को
रोना नियमों की पालना करने की अपील की तथा सोशल डिस्टेंस के साथ ही मंदिर में प्रवेश करने का आग्रह किया। भक्तों ने भी उनकी अपील पर ध्यान देते हुए सभी नियमों को माना और मां के दरबार में हाजिरी लगाई। इस अवसर पर मंदिर में हर रोज माता की भेंटे लिखने वाले अनिल कत्याल ने आज विशेष तौर पर मां कालरात्रि के दरबार में हाजिरी लगाई। हवन यज्ञ में अनिल कत्याल के अलावा सुरेंद्र गेरा, संजय वधवा, फकीरचंद कथूरिया, एवं धीरज बब्बर भी मौजूद रहे और मां की आरती में हिस्सा लिया।
मंदिर में पहुंचे श्रद्धालुओं के बीच मां कालरात्रि का बखान करते हुए प्रधान जगदीश भाटिया ने कहा कि मां कालरात्रि का नाम कैसे पड़ा। उन्होंने बताया कि देवी पार्वती ने जब शुंभ और निशुंभ नाम के राक्षसों का वध किया था, तब माता ने अपनी बाहरी सुनहरी त्वचा को हटाकर देवी कालरात्रि का रूप धारण किया था। तभी से देवी पार्वती के इस रूप को माता कालरात्रि कहा जाता है। मां कालरात्रि का रूप अति उग्र है। देवी कालरात्रि का रंग गहरा काला है। अपने कू्रर रूप में शुभ या मंगलकारी शक्ति के कारण देवी कालरात्रि को देवी शुंभकरी के रूप में भी जाना जाता है। श्री भाटिया ने कहा कि मां कालरात्रि की सवारी गधा है। मां को पंचमेवा और जायफल का भोग लगाया जाता है। मां कालरात्रि को नीला जामुनी रंग अति प्रिय है। सच्चे मन से मां कालरात्रि की पूजा कर उनसे जो भी मुराद मांगी जाती है, वह अवश्य पूर्ण होती है।
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