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ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन (आईपा) ने चेयरमैन केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को पत्र लिखकर कोरोना महामारी के प्रभाव से परेशान अभिभावकों के बच्चों का दसवीं और बारहवीं का बोर्ड परीक्षा शुल्क माफ करने की अपील की है। आईपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ एडवोकेट अशोक अग्रवाल ने अपने पत्र में लिखा है कोरोना की पहली व दूसरी लहर से अभि
भावकों खासकर मिडिल क्लास की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है वह अपने बच्चे की मासिक ट्यूशन फीस भी बड़ी मुश्किल से जमा करा रहे हैं। अब वे बोर्ड परीक्षा शुल्क जमा कराने की स्थिति में नहीं है अतः सीबीएसई को यह शुल्क माफ कर देना चाहिए।
आईपा ने चेयरमैन सीबीएसई को बताया है कि कई अभिभावकों ने स्कूल संचालकों द्वारा वार्षिक, डेवलपमेंट, दाखिला व अन्य फंडों में मांगे जा रहे शुल्क को ना देने के कारण अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल से निकालकर सरकारी स्कूलों में दाखिला करा दिया है। आइपा ने कहा है कि बोर्ड परीक्षा शुल्क जमा ना कराने की स्थिति में बच्चे बोर्ड की परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे इससे उनका साल खराब हो जाएगा। अतः बच्चों के भविष्य की खातिर बोर्ड परीक्षा शुल्क माफ कर दिया जाए। आइपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि चेयरमैन सीबीएसई को याद दिलाया गया है गत वर्ष कोरोना के प्रभाव को देखते हुए शिक्षा सत्र 2020-21 की 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं नहीं हुई थी लेकिन सीबीएसई ने अभिभावकों से बोर्ड परीक्षा शुल्क प्राप्त कर लिया था जिसको आईपा के अनुरोध के बाद भी अभिभावकों को वापस नहीं किया गया है। अब शिक्षा सत्र 21-22 में बोर्ड परीक्षा शुल्क के रूप में दो से तीन हजार रुपए 30 सितंबर तक जमा कराने को कहा गया है उसके बाद ₹2000 का जुर्माना वसूलने की बात कही गई है। आइपा का कहना है कि गत वर्ष बोर्ड परीक्षा न होने के बावजूद वसूले गए परीक्षा शुल्क को वर्तमान बोर्ड परीक्षा शुल्क में एडजस्ट मानकर इस साल का बोर्ड परीक्षा शुल्क कर माफ कर दिया जाए और बोर्ड परीक्षा शुल्क न देने वाले किसी भी अभिभावक के बच्चे को बोर्ड परीक्षा में बैठने से ना रोका जाए।
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