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सीबीएसई नहीं देता स्कूलों को फीस वृद्धि की अनुमति, फिर हरियाणा सरकार क्यों देने जा रही है ?

Posted by : pramod goyal on : Saturday 3 July 2021 0 comments
pramod goyal
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 शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने कहा है कि सरकार ऐसा नियम बना रही है कि स्कूल प्रबंधक आठ से 10 परसेंट तक फीस बढ़ा सकते हैं। हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने इस पर कड़ा एतराज़ किया है। मंच ने  मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर विरोध जताते हुए कहा है जिस सीबीएसई बोर्ड से स्कूल संबंधित हैं वह उनको फीस वृद्धि करने की अनुमति नहीं देता तो फिर हरियाणा सरकार ऐसा क्यों करने जा रही है। मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा व प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि मंच ने सीबीएसई में आरटीआई लगाकर पूछा था कि सीबीएसई स्कूलों को कितने प्रतिशत फीस बढ़ाने की अनुमति देता है। जिसके जवाब में सीबीएसई ने उत्तर दिया है कि बोर्ड फीस में वृद्धि करने हेतु स्कूलों को कोई अनुमति प्रदान नहीं करता है। मंच के प्रदेश संरक्षक सुभाष लांबा व आईपा के जिला अध्यक्ष एडवोकेट बीएस विरदी ने कहा है कि सभी प्राइवेट स्कूल खासकर सीबीएसई के लाभ में होते हैं फिर उन्हें फीस वृद्धि की और अनुमति देना पहले से ही स्कूलों की लूट व मनमानी के शिकार अभिभावकों को और अधिक लूटवाना है। मंच ऐसा नहीं होने देगा। प्रदेश के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि स्कूलों की आरटीआई का


नून के तहत प्राप्त की गई बैलेंसशीट व फार्म 6 की जांच पड़ताल करने से पता चला है इन स्कूलों के पास लाखों रुपए रिजर्व व सरप्लस फंड के रूप में जमा हैं। उन्होंने आमदनी और खर्चे में काफी हेराफेरी की है, लाभ के पैसे को अपने अन्य संस्थानों में डाइवर्ट किया है। इसके अलावा आमदनी को लमसम दिखाया है ट्यूशन फीस के अलावा और किन-किन गैर कानूनी फंडों में पैसे लिए उनका नाम और उनमें वसूली गई फीस को नहीं दिखाया है। लाभ कम दिखाने के लिए कई फालतू मदों जैसे लीगल, पैकिंग, एडवरटाइजमेंट, मनोरंजन, टूर एंड ट्रैवल, वार्षिक उत्सव, एनुअल डे, डोनेशन, स्कूल के नाम से जमीन खरीदने आदि अन्य कई गैर कानूनी मदों में लाखों रुपए खर्चा दिखाया है। इसके बाद भी जो करोड़ों रुपए लाभ के रूप में बचे उसको अन्य खर्चों के कोलम में दिखा दिया है। मंच के जिला अध्यक्ष एडवोकेट शिव कुमार जोशी व सचिव डॉ मनोज शर्मा ने कहा है कि ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन आईपा व मंच की ओर से मई 2020 में मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र लिखकर बताया गया था कि प्राइवेट स्कूलों की फीस व फंडस को रेगुलेट व नियंत्रित करने के लिए 2014 में प्रत्येक मंडल कमिश्नर की अध्यक्षता में बनाई गई  फीस एंड फंड्स रेगुलेटरी कमेटी एफएफआरसी अपने उद्देश्य को लेकर पूरी तरह से विफल हुई है अतः हरियाणा के सभी प्राइवेट स्कूलों के पिछले 10 साल के खातों की जांच व ऑडिट सीएजी से कराई जाए लेकिन हरियाणा सरकार ने एक साल बाद भी मंच के पत्र पर कोई उचित कार्रवाई नहीं की है अतः अब मंच सभी स्कूलों का सीएजी से ऑडिट कराने की मांग को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर करेगा। मंच ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से अपील की है कि वे प्राइवेट स्कूलों को फीस बढ़ाने की अनुमति देने से पहले इनके खातों की जांच व ऑडिट सीएजी से कराएं जिससे पता चल सके कि स्कूल लाभ में हैं या घाटे में और उन्होंने जो फालतू व गैर कानूनी मदों में पैसा खर्च के रूप में दिखाया है वह कानूनन सही है या नहीं। मंच ने सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूल संचालकों के हित में लिए जा रहे फैसले पर विचार विमर्श करने और आगे की रणनीति तय करने के लिए मंच की राज्य कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है।

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