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वामपंथी पार्टियों के प्रतिनिधि मंडल ने रविवार को खोरी गांव में जाकर पीड़ित परिवारों के सदस्यों से भेंटवार्ता की

Posted by : pramod goyal on : Sunday 13 June 2021 0 comments
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 फरीदाबाद 13 जून वामपंथी पार्टियों के प्रतिनिधि मंडल ने आज  रविवार को खोरी गांव में जाकर  पीड़ित परिवारों  के सदस्यों से भेंटवार्ता की। प्रतिनिधिमंडल में सीपीएम की ओर से पार्टी के जिला सचिव शिव प्रसाद,   सचिव मंडल के सदस्य विजय कुमार झा, निरंतर पराशर, वीरेंद्र सिंह डंगवाल, नवल सिंह, धीरेंद्र कुमार  जबकि सी पीआई की तरफ से आरएन सिंह, रामा कांत तिवारी, जगराम गौतम, के साथ साथ रामप्रसाद  ने भी भाग लिया। दोनों पार्टियों के संयुक्त प्रतिनिधि मंडल ने वहां कई लोगों से मिल कर उनकी परेशानी को महसूस करते हुए बताया कि प्रशासन बरसों से वहां पर आशियाना बनाकर रह रहे लोगों को जबरन बेघर करने पर तुला हुआ है। शिष्टमंडल ने तय किया है कि कल 14 जून को दोनों पार्टियों का संयुक्त प्रतिनिधिमंडल खोरी गांव के पीड़ितों को साथ लेकर फरीदाबाद के जिला उपायुक्त से मिलकर उन्हें ज्ञापन देगा। उन्होंने यह भी दर्शाया की जो लोग वहां पर रह रहे हैं। उनके पास राशन, कार्ड आधार कार्ड, पैन कार्ड और परिवार पहचान पत्र भी हैं। वहां के लोगों के वोटर लिस्ट में नाम शामिल हैं। इतना ही नहीं केंद्रीय सामाजिक और न्याय तथा अधिकारिता मंत्री श्री कृष्ण पाल गुर्जर जी के नाम से वहां पर सड़क का निर्माण करने का बोर्ड भी लगा हुआ है। इसके साथ ही वहां पर भारतीय जनता पार्टी के युवा मोर्चा के पदाधिकारी का भी बोर्ड लगा हुआ है। इसके बावजूद भी सरकार जानबूझकर लोगों को परेशान कर रही है। जबकि इसी सरकार के द्वारा वहां पर बिजली पानी की व्यवस्था की भी की गई है। बच्चों के लिए स्कूल बनाए गए हैं। आंगनबाड़ी के सेंटर चल रहे हैं। आशा वर्करों के द्वारा वहां पर पीड़ित परिवारों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं। राशन का वितरण भी वहां पर किया जाता है। सारी सुविधाओं  प्रदान करने के बाद भी वहां पर तोड़फोड़ करने का कोई औचित्य नहीं बनता है। हरियाणा की सर


कार और फरीदाबाद का जिला प्रशासन तथा नगर निगम वहां पर पिछले 25 वर्षों से पक्के और कच्चे मकान बनाकर रह रहे लोगों को बर्बाद करने पर तुला हुआ है। जब यहां पर निर्माण कार्य शुरू हो रहे थे। उस समय उनको रोका जाना चाहिए था। तब नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी मिलकर इस काम को करवा रहे थे। अब सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का बहाना बनाकर लोगों पर अत्याचार किया जा रहा है। प्रतिनिधिमंडल को वहां के निवासियों ने यह भी बताया गया कि जिला प्रशासन की नीतियों का विरोध करने वाले कई नौजवानों को पुलिस ने हिरासत में लेकर उन्हें नाजायज तौर से बंद कर रखा है। उन्होंने प्रशासन से नाजायज गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की है।इसके अलावा हिरासत में रखे गए लोगों को तुरंत रिहा करने की मांग भी की है। प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि प्रशासनिक अधिकारी वहां पर रोज मुनादी करवा रहे हैं। और लोगों को अपना सामान स्वयं उठाकर ले जाने का दबाव बनाया जा रहा है। एक तरफ  कोराना काल में लोगों के पास घरों का काम चलाने के लिए आमदनी का जरिया नहीं रहा। नौकरियां चली गई है। महंगाई लगातार बढ़ रही है। आम आदमी काफी परेशान हो रहा है। उनके पास कोरोना की बीमारी से लड़ने के लिए  संसाधनों नहीं है  इसके बावजूद भी प्रशासनिक अधिकारी उन्हें जबरन हटाने पर आमादा हैं। उन्होंने कहा यदि प्रशासन ठीक ढंग से सर्वोच्च न्यायालय में पैरवी करता तो आज गरीबों के ऊपर बुलडोजर चलाने की नौबत नहीं पड़ती। लेकिन प्रशासन के अधिकारियों ने उस समय भू माफिया और प्रॉपर्टी डीलरों पर लगाम नहीं लगाई। जितने भी लोगों से शिष्ट मंडल ने मुलाकात की उन्हें बताया गया कि उन्होंने प्रॉपर्टी डीलरों को पैसे देकर झुग्गी बनाने के लिए जगह खरीदी थी। उनको  रजिस्ट्री करने का झांसा भी दिया गया। लेकिन कालांतर में न तो रजिस्ट्री हुई न ही पावर ऑफ अटॉर्नी की गई और अब प्रॉपर्टी डीलरों के भी दर्शन नहीं होते हैं। इस मुसीबत की घड़ी में कोई भी पीड़ित परिवारों का साथ देने को तैयार नहीं है। राजनीतिक पार्टियों के लोग वोट के समय उनके पास जरूर आते हैं। लेकिन इस संकट की घड़ी में सत्ताधारी पार्टी के युवा मोर्चा के पदाधिकारी भी उनकी तरफ से मुंह मोड़  रहे हैं जबकि पहले लगातार उनसे संपर्क बना करके रखते थे। प्रतिनिधिमंडल के सदस्य वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने प्रशासन से मांग की है कि पहले लोगों को  पुनर्स्थापित करने की योजना को अमल में लाया जाए।  गरीबों को विस्थापित नहीं किया जाना चाहिए।  सरकार को मुसीबत की घड़ी में छोटे रिहायशी मकान बनाकर लोगों को बसाने का काम  करना चाहिए। उन्हें उजाड़ने से पूरा परिवार बर्बाद हो जाता है। उन्होंने बताया कि भीषण गर्मी पड़ रही है। बरसात का मौसम आने वाला है। यदि गरीबों के घर उजड़ जाएंगे तो उन्हें अपने बच्चों को संभालने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए सरकार को कोई वैकल्पिक व्यवस्था किए बगैर इन्हें यहां से नहीं हटाना चाहिए।

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