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फरीदाबाद 23 मार्च सीटू जिला कमेटी फरीदाबाद ने आज सोमवार को शहीदे आजम भगत सिंह के 89 वे शहादत दिवस पर उन्हें याद किया। सेंटर आफ इंडियन ट्रेड यूनियंस के जिला प्रधान निरंतर पराशर, लाल बाबू शर्मा, एवम् जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने बताया कि आज से 89 साल पहले ब्रिटिश शासकों ने जनाक्रोश भड़कने के डर से भगत सिंह, राजगुरु सुखदेव की फांसी की तारीख को गुपचुप तरीके से बदल कर स्वतंत्रता संग्राम के तीनों महान नायकों को 24 मार्च 1931 की सुबह के बजाय 23 मार्च 1931 की शाम को ही फांसी के फंदे पर लटका दिया था। इनके अंतिम
संस्कार की जगह में भी बदलाव करके सतलुज नदी के किनारे हुसैनीवाला में करने का प्रयास किया। भगत सिंह महान क्रांतिकारी होने के साथ ही एक युगांत कारी व्यक्ति थे। उन्होंने स्वयं को आजादी के आंदोलन के दौरान हर क्षण क्रांति के महायज्ञ में व्यस्त रखा ।जेल में जाकर भी ऐतिहासिक जिम्मेदारी से मुक्त महसूस नहीं किया। एक राजनीतिक चिंतक के रूप आज भी शहीद ए आजम भगत सिंह को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। शहीदे आजम भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 19 07 को गांव खटकड़ कलां तहसील बंगा जिला जालंधर पंजाब में हुआ था। जबकि राजगुरु का जन्म 24 अगस्त 1908 को खेड़ा गांव जिला पुणे महाराष्ट्र में हुआ था। इसके साथ-साथ सुखदेव थापर का जन्म 15 मई 1907 को लुधियाना जिला पंजाब में हुआ था। मात्र 23 वर्ष की उम्र में अपने साथियों सहित फांसी पर लटकाए जाने से पहले भगत सिंह नेअपने छोटे से सक्रिय राजनीतिक जीवन में स्वतंत्रता संग्राम को जुझारू तेवर दिए। उन्होंने साइमन कमीशन के विरोध में अंग्रेजो के द्वारा बर्बरता पूर्व लाठी चार्ज करके लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए ब्रिटिश अधिकारी सांडर्स की हत्या कर दी थी। अंग्रेजी हुकूमत ने बदले की भावना से कार्रवाई करते हुए आजादी के इन दीवानों को फांसी के फंदे पर लटकाया। इन्हीं महान नायकों की बदौलत ही देश को आजादी प्राप्त हुई। डंगवाल ने बताया कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत एक बेमिसाल थी। भगत सिंह की ही बेमिसाल कुर्बानी के बल पर ही देश के नौजवानों में उस समय आजादी के लिए नया जोश पैदा हुआ था।
संस्कार की जगह में भी बदलाव करके सतलुज नदी के किनारे हुसैनीवाला में करने का प्रयास किया। भगत सिंह महान क्रांतिकारी होने के साथ ही एक युगांत कारी व्यक्ति थे। उन्होंने स्वयं को आजादी के आंदोलन के दौरान हर क्षण क्रांति के महायज्ञ में व्यस्त रखा ।जेल में जाकर भी ऐतिहासिक जिम्मेदारी से मुक्त महसूस नहीं किया। एक राजनीतिक चिंतक के रूप आज भी शहीद ए आजम भगत सिंह को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। शहीदे आजम भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 19 07 को गांव खटकड़ कलां तहसील बंगा जिला जालंधर पंजाब में हुआ था। जबकि राजगुरु का जन्म 24 अगस्त 1908 को खेड़ा गांव जिला पुणे महाराष्ट्र में हुआ था। इसके साथ-साथ सुखदेव थापर का जन्म 15 मई 1907 को लुधियाना जिला पंजाब में हुआ था। मात्र 23 वर्ष की उम्र में अपने साथियों सहित फांसी पर लटकाए जाने से पहले भगत सिंह नेअपने छोटे से सक्रिय राजनीतिक जीवन में स्वतंत्रता संग्राम को जुझारू तेवर दिए। उन्होंने साइमन कमीशन के विरोध में अंग्रेजो के द्वारा बर्बरता पूर्व लाठी चार्ज करके लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए ब्रिटिश अधिकारी सांडर्स की हत्या कर दी थी। अंग्रेजी हुकूमत ने बदले की भावना से कार्रवाई करते हुए आजादी के इन दीवानों को फांसी के फंदे पर लटकाया। इन्हीं महान नायकों की बदौलत ही देश को आजादी प्राप्त हुई। डंगवाल ने बताया कि भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत एक बेमिसाल थी। भगत सिंह की ही बेमिसाल कुर्बानी के बल पर ही देश के नौजवानों में उस समय आजादी के लिए नया जोश पैदा हुआ था।
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