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नायाब और अतभुत करंसी कलेक्शन के शौक ने बनाया मशहूर

Posted by : pramod goyal on : Friday, 20 July 2018 0 comments
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 किसी भी तरह का जुनून किसी भी व्यक्ति की प्रसिद्धि का कारण बन सकता है. ऐसा ही जुनूनी कारनामा फरीदाबाद के एक उद्योगपति ने देश और विदेश की मुद्रा ( करंसी ) इकठ्ठा करके दिखाया है जिसके लिए विभिन्न प्रकार की मुद्रा संग्रह करने पर इस उद्योगपति का नाम छह बार लिम्का बुक आफ रिकॉर्ड और इंडिया बुक आफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है. लगभग पिछले 15 साल से मुद्रा संग्रह करने का यह शौक अब लोगो के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. हम बात कर रहे है फरीदाबाद के सेक्टर 16 - ऐ  में रहने वाले उद्योगपति सतीश सिंघल की जिनके पास आज पुराने जमाने के आना - पाई और ढेला से लेकर सैकड़ो तरह के रेयर सिक्को के कलेक्शन के अलावा पुराने अतभुत नोटों की शृंखला की सीरीज भी मौजूद है. आलम यह है की लोग दूर - दूर से आकर उनकी इस नायाब कलेक्शन को देखने के लिए आते है. सतीश सिंघल के अनुसार वह अपनी इस कलेक्शन को किसी भी कीमत पर बेचेंगे नहीं और अगर उनके बच्चो ने इस कलेक्शन को सँभालने से इंकार किया तो वह इस कलेक्शन को किसी मियूजियम में दे देंगे !!!
 हमारे कैमरा टीम ने उद्योगपति सतीश सिंघल के घर का दौरा किया और उनकी नायाब करंसी कलेक्शन को देखा जिसे उन्होंने 15 वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद संजोया है. आज उनके पास अनोखे नंबर वाले कागज के रूपये और सिक्को का अतभुत संग्रह है जिसके लिए उनका नाम छह बार लिम्का बुक आफ रिकॉर्ड और इंडिया बुक आफ रिकॉर्ड में  दर्ज किया जा चुका है. बातचीत करते हुए सतीश सिंघल ने बताया की फरीदाबाद में उनकी एक ऑयल मिल और नट बोल्ट की फैक्ट्री है. 15 - 16 साल पहले घर में कुछ पुराने सिक्को को देखकर उनका शौक जागृत हुआ इसके बाद उन्होंने पुराने और रेयर सिक्को को जमा करना शुरू कर दिया। सिक्को के साथ साथ पुराने नोटों की करंसी भी उन्होंने जमा करनी शुरू कर दी. बाद में उन्होंने विदेशी करंसी भी जमा करनी शुर कर दी. सतीश सिंघल ने बताया की  उनके पास 1808 से 2017 तक के हजारों देश विदेश के सिक्के इनके मयुजियम की शोभा बढ़ा रहें हैं। आज उनके पास  1/12 आना (पाई), आधा आना (धेला), एक आना,  दो आना, चार आना, आठ आना, 1/2  पैसा, एक पैसा (छेद वाला सिक्का),  दौ पैसा . . . . . . से 100 रुपये का सिक्का भी मयुजियम की शोभा बढ़ा रहें है।   उन्होंने बताया की मार्च 2014, मे पहली बार लिम्का बुक आफ रिकार्ड मे 20 पैसे के 19 प्रकार के सिक्के और 2 रुपये के 43 तरह के सिक्को को मान्यता दी गई। परन्तु अब 2 रुपये के सिक्के 48 प्रकार के हैं।  6 मार्च, 2014 को इण्डिया बुक रिकार्ड में 5 रुपये के 51 सिक्के और 2 रुपये के 44 तरह के संग्रह को सम्मलित किया गया अब 5 रुपये के 68 और 2 रुपये के 48 सिक्के हैं । 4 जून, 2014 को 20 पैसे के 19 प्रकार के सिक्के रिकार्ड में दर्ज किया गया।  50 पैसे के सिक्को को 14/05/2015 में इण्डिया बुक आफ रिकार्ड और 30/07/2015 लिम्का बुक रिकार्ड में 60 प्रकार के सिक्को अपने रिकार्ड में वन्दना गुप्ता के नाम से लिखा है। अब यह रिकार्ड 61 सिक्को का है। 25 पैसे के सिक्को को 14/05/2015 में इण्डिया बुकआफ रिकार्ड और 16/09/2015 लिम्का बुक रिकार्ड में 50 प्रकार के सिक्को अपने रिकार्ड में आयुष सिंघल के नाम से लिखा है। 14/05/2015 को 10 रुपये के 16 वैरायटी के सिक्के इण्डिया बुक आफ रिकार्ड मे 14/05/2015 को दर्ज किया और  इसी श्रृंखला मे लिम्का बुक आफ रिकार्ड 2101 सिक्के 16 प्रकार के दर्ज किए गए। जो कि अपने आप में एक रिकार्ड है। सन 1862 मे भारत-ब्रिटिश सरकार ने सिक्को की पहली सिरिज शुरु की गई और इस सिरिज का एक सिक्का दो आना चांदी का बना हुआ है जोकि सिंघल जी के पास है। छ: प्रकार के रिकार्ड (1 पैसा 20 प्रकार का,  2 पैंसे 13 प्रकार के ,  3 पैसे 4 प्रकार के,  5 पैसे 16 प्रकार के,  10 पैसे 44 प्रकार के और 1 रुपये के 90 प्रकार के सिक्को का रिकॉर्ड उनके  पास है.  इस सभी संग्रह के कारण इन्हें वर्ल्ड रिकार्ड स्टेज 2017 पर इनके पूरे परिवार को सम्मानित किया गया।  

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