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फरीदाबाद न्यायालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ न्यायिक सुधार संघर्ष समिति के तत्वावधान में फरीदाबाद के अधिवक्ताओं ने आज जंतर मंतर (दिल्ली) पर प्रदर्शन कर आवाज उठाई। कार्यक्रम के आयोजक अधिवक्ता
श्री एल एन पाराशर ने कहा कि न्यायालयों में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। मुवक्किल, वकील यहाँ तक कि न्यायाधीश भी इससे अछूते नहीं हैं। फरीदाबाद न्यायालयों में भ्रष्टाचार से पहले ही लोगों का बुरा हाल था पर अब कुछ वकीलों जो कि न्यायाधीशों की दलाली करते हैं व कुछ न्यायाधीश भी भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं, के कारण स्थिति बहुत बुरी होती जा रही है। जिसका कारण फरीदाबाद सेशन जज दीपक गुप्ता का संरक्षण है। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के साथ बंधुआ मजदूरों जैसा व्यवहार किया जाता है जिसमें सेशन जज स्वयं भी शामिल है। गरीबों को न्याय मिलना दुभर होता जा रहा है। लीगल एड् नाम के लिए रह गई है। भारतीय संविधान के आर्टिकल 398-ए में कसाब जैसे देश को तबाह करने वाले आतंकवादी को तो मनचाहा वकील मुहैया कराया जाता है पर एक गरीब को लीगल एड् नहीं मिलती। अधिवक्ता मनोज शर्मा ने बताया कि फरीदाबाद न्यायालयों के जजों द्वारा युवा अधिवक्ताओं के साथ दुर्व्यवहार करना शौक सा बन गया है। युवा अधिवक्ता को ढंग से सुना तक नहीं जाता। अगर अधिवक्ता तारीख माँगे तो साफ मना कर दिया जाता है कि आज ही गवाही कराओ/आगे बहस करो और जज की मर्जी है तो बेवजह तारीख पे तारीख दी जाती हैं भले ही अधिवक्ता केस में गवाही कराने या बहस करने को तैयार हो। यदि अधिवक्ता जज का कहना मान लें तो ठीक नहीं तो मनमानी तारीख व फैसले दिए जा रहे हैं कुछ बोलने पर अधिवक्ता के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही की धमकी दी जाती हैं। सभी अधिवक्ताओं ने माँग की कि माननीय मुख्य न्यायाधीश, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट इस का संज्ञान लेते हुए शीघ्र उचित कदम उठाएं व विधि विरुद्ध कार्य कर रहे न्यायाधीशों के विरुद्ध कड़ी अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए।
श्री एल एन पाराशर ने कहा कि न्यायालयों में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। मुवक्किल, वकील यहाँ तक कि न्यायाधीश भी इससे अछूते नहीं हैं। फरीदाबाद न्यायालयों में भ्रष्टाचार से पहले ही लोगों का बुरा हाल था पर अब कुछ वकीलों जो कि न्यायाधीशों की दलाली करते हैं व कुछ न्यायाधीश भी भ्रष्टाचार में संलिप्त हैं, के कारण स्थिति बहुत बुरी होती जा रही है। जिसका कारण फरीदाबाद सेशन जज दीपक गुप्ता का संरक्षण है। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के साथ बंधुआ मजदूरों जैसा व्यवहार किया जाता है जिसमें सेशन जज स्वयं भी शामिल है। गरीबों को न्याय मिलना दुभर होता जा रहा है। लीगल एड् नाम के लिए रह गई है। भारतीय संविधान के आर्टिकल 398-ए में कसाब जैसे देश को तबाह करने वाले आतंकवादी को तो मनचाहा वकील मुहैया कराया जाता है पर एक गरीब को लीगल एड् नहीं मिलती। अधिवक्ता मनोज शर्मा ने बताया कि फरीदाबाद न्यायालयों के जजों द्वारा युवा अधिवक्ताओं के साथ दुर्व्यवहार करना शौक सा बन गया है। युवा अधिवक्ता को ढंग से सुना तक नहीं जाता। अगर अधिवक्ता तारीख माँगे तो साफ मना कर दिया जाता है कि आज ही गवाही कराओ/आगे बहस करो और जज की मर्जी है तो बेवजह तारीख पे तारीख दी जाती हैं भले ही अधिवक्ता केस में गवाही कराने या बहस करने को तैयार हो। यदि अधिवक्ता जज का कहना मान लें तो ठीक नहीं तो मनमानी तारीख व फैसले दिए जा रहे हैं कुछ बोलने पर अधिवक्ता के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही की धमकी दी जाती हैं। सभी अधिवक्ताओं ने माँग की कि माननीय मुख्य न्यायाधीश, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट इस का संज्ञान लेते हुए शीघ्र उचित कदम उठाएं व विधि विरुद्ध कार्य कर रहे न्यायाधीशों के विरुद्ध कड़ी अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए।
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