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बाई पास रोड पर पेड़ों की कटाई के सन्दर्भ में सेव फरीदाबाद ने आला अधिकारियों को भेजा लीगल नोटिस

Posted by : pramod goyal on : Saturday 29 May 2021 0 comments
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फरीदाबाद : बाई पास रोड के किनारे ग्रीन बेल्ट में लगे दशकों पुराने पेड़ों की कटाई को अवैध बताते हुए , सेव फरीदाबाद के संयोजक पारस भरद्वाज ने हरियाणा सरकार व सम्बंधित अधिकारियों को एक लीगल नोटिस भेजा है। भारद्वाज ने  एक प्रेस नोट जारी कर बताया है कि उन्होंने अपने वकील सौरभ राजपाल (वरिष्ठ अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट ) के माध्यम से राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण(NHAI)  के चेयरमैन,हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव ,प्रधान सचिव (टाउन एवं कंट्री प्लानिंग) ,हरियाणा शहरी विकास प्रा


धिकरण के मुख्य प्रशासक व अन्य आला अधिकारियों  को भी इस बाबत नोटिस भेजा है। 

इस नोटिस के माध्यम से पारस ने आरोप लगाया है कि दिल्ली वड़ोदरा मुंबई एक्सप्रेस वे बनाने के लिए सम्बंधित अधिकारियों ने  सुप्रीम कोर्ट व एन जी टी के आदेशों की अवहेलना करते हुए सेक्टर 13-14 ,बीपीटीपी चौक से लेकर सेक्टर 8-9 तक के साथ लगती हुई  बाई पास रोड की ग्रीन बेल्ट को उजाड़ दिया है। 

उनको संदेह है कि ग्रीन बेल्ट के दूसरी तरफ हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण(HSVP) की ज़मीन पर बनी 143 अवैध दुकानों को बचाने के दबाव में सड़क के नक़्शे को ही बदल दिया गया है। इसी कारण यह ग्रीन बेल्ट भी इस सांठ गाँठ की भेंट चढ़ गयी। उनका कहना है कि इस ग्रीन बेल्ट की कीमत साथ लगते हुए रिहायशी सैक्टरों के प्लाट धारकों से उस समय हुड्डा पहले ही वसूल चुका है।इसलिए ग्रीन बेल्ट काटा जाना कानूनन अनुचित है। जब एक्सप्रेसवे चलेगा तो यही ग्रीन बेल्ट वाहनों द्वारा होने वाले प्रदूषण से सैक्टर वासियों की रक्षा करेगी। 

प्रेस नोट के माध्यम से पारस ने जानकारी दी कि जहाँ अभी हाल ही में शहर के लोग कृत्रिम ऑक्सीजन के लिए मारे मारे फिर रहे थे , वहीँ अधिकारी ऑक्सीजन के प्राकृतिक स्त्रोत को उजाड़ने में मस्त थे। फरीदाबाद को विश्व के  सबसे ज़्यादा प्रदूषित औद्योगिक शहरों में से एक  बताते हुए उन्होंने  पर्यावरण रक्षा की अपील की व  कहा कि अगर इस महामारी आपदा के बाद भी हमने अपने पेड़ों की रक्षा नहीं की , तो वो दिन दूर नहीं जब हमारे बच्चों को नियमित रूप से सिलिंडर वाली ऑक्सीजन लेनी पड़ेगी। 

लीगल नोटिस द्वारा पारस ने सम्बंधित अधिकारियों को तुरंत प्रभाव से इस ग्रीन बेल्ट के उजाड़े गए पेड़ों की पुन: स्थापना की मांग रखी है अन्यथा उन्हें पर्यावरण की रक्षा के लिए मजबूरन उच्चतम न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाना पड़ेगा। सेव फरीदाबाद संस्था समय समय पर जनहित के मुद्दे उठाती रहती है। 

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