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फरीदाबाद 24 मई देशव्यापी हड़ताल के तहत आज सोमवार को फरीदाबाद जिले की हजारों आशा वर्कर पूर्ण रूप से हड़ताल पर रही। सभी आशा वर्करों ने काली पट्टी बांधकर अपने अपने स्वास्थ्य केंद्रों पर जोरदार प्रदर्शन किया। सरकार की नीतियों से नाराज हुई आशा वर्करों ने जमकर नारेबाजी की। आशा वर्करों के हड़ताल पर जाने से सभी 32 स्वास्थ्य केंद्रों पर कामकाज पूर्ण रूप से ठप रहा। आशा वर्करों ने आज होम आइसोलेशन में दवाई वितरण के कार्य के अलावा कोरोना सर्वे का कार्य तथा कोरोना टीकाकरण के कार्य को
भी नहीं किया। इसके साथ साथ रोजमर्रा के कार्यों का भी बहिष्कार किया। आशा वर्कर यूनियन की जिला उपप्रधान सुशीला के नेतृत्व में देश के प्रधानमंत्री के नाम 12 सूत्री मांगों और समस्याओं के बारे ज्ञापन बादशाह खान अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी श्री रणदीप सिंह पूनिया को दिया गया। इस मौके पर यूनियन की जिला सचिव सुधा पाल सीटू के जिला प्रधान निरंतर पराशर, जिला सचिव लालबाबू शर्मा जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह डंगवाल और सर्व कर्मचारी संघ के जिला सचिव बलबीर बाल गुहेरे, के अलावा पूजा गुप्ता, नीलम जोशी भी उपस्थित रहे। आशा वर्करों ने राज्य शासन प्रशासन पर उनकी मांगों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। आशा वर्करों ने बताया कि कोरोना काल की दूसरी लहर के आने के बावजूद भी उन्हें सुरक्षा उपकरण जैसे मास्क, कैंप, फेस शिल्ड सैनिटाइजर इत्यादि वस्तुएं उपलब्ध नहीं करवाई जा रही हैं। उनकी दूसरी मांग मैं सभी आशा वर्कर और फैसिलिटेटर्स के लिए निशुल्क चिकित्सा जांच और कॉविड परीक्षण प्रदान करने। इसके अलावा सभी आशा कार्यकर्ताओं को दस हजार रुपए प्रतिमाह जोखिम भत्ते का भुगतान करने के साथ-साथ कोबि ड संक्रमण से मृत्यु होने पर पचास लाख रुपए का बीमा राशि प्रधान करने के साथ साथ सभी आशाओं को पूरे परिवार के लिए कोविड-19 संक्रमण के इलाज के लिए दस लाख रुपए का मुआवजा दिया देने आदि शामिल है। यूनियन की अन्य मांगों में पारिश्रमिक भक्तों आदि के बकाया का तत्काल भुगतान करने, इसके अलावा पेंशन एक्स ग्रेशिया राशि और अन्य सामाजिक सुरक्षा लाभ दिए बिना या रिटायरमेंट बेनिफिट्स दिए बिना किसी भी आशा वर्कर को नौकरी से नहीं निकाला जाना चाहिए। यूनियन की अन्य मांगों में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए सकल घरेलू उत्पाद का 6% धनराशि आवंटित करने, सबके लिए स्वास्थ्य के अधिकार के लिए कानून बनाने के साथ-साथ सभी के लिए उपक्रम के तौर पर एनएचएम को सरकार का स्थाई स्वास्थ्य कार्यक्रम बनाया जाए, इसके लिए पर्याप्त वित्तीय बजट आवंटित किया जाय। यूनियन की दसवीं मांग में 45 वे और 46 वे भारतीय श्रम सम्मेलनों की सिफारिशों को लागू करते हुए सभी आशा वर्कर को नियमित किया जाए और जब तक नियमित नहीं होते हैं। तब तक उन्हें ₹24 हजार रूपए का वेतन दिया जाए। तथा 10हजार की मासिक पेंशन सहित सभी सामाजिक सुरक्षा के लाभ प्रदान किए जाएं। यूनियन की अन्य मांगों में बुनियादी सेवाओं के निजीकरण के प्रस्ताव को जिनमें स्वास्थ्य शामिल है। अस्पतालों सहित राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन को वापस लेने और सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों का निजी करण रोका जाए और इसके साथ-साथ श्रम कानूनों में किए गए संशोधन निरस्त किए जाएं इत्यादि हैं। सीटू और सर्व कर्मचारी संघ ने आशा वर्करों की हड़ताल का पूर्ण रुप से समर्थन किया। नेताओं ने बताया कि यदि सरकार ने आशाओं की मांगों का समाधान नहीं किया। तो आंदोलन को तेज किया जाएगा।
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