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कोरोना से मौत होने वाले व्यक्ति का दाहसंस्कार करने पर 2000 रुपये प्रति दाहसंस्कार जोखिम भत्ता दे सरकार: सीटू

Posted by : pramod goyal on : Saturday 8 May 2021 0 comments
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 फरीदाबाद 8 मई -  हरियाणा सरकार की बेरुखी और उपेक्षा के कारण ग्रामीण सफाई कर्मचारी एक बार फिर भेदभाव का शिकार हो रहे हैं।सरकार गांव में कार्यरत ग्रामीण सफाई कर्मियों से कोरोना की वजह से मौत होने वाले व्यक्ति का दाह संस्कार करने का काम फ्री में लेकर बेगार करवा रही है। जबकि शहरों में यही काम करने वाले सफाई कर्मचारियों को 2000 रुपये प्रति बॉडी भुगतान कर रही है। ये दोगलापन बन्द करके ग्रामीण सफाई कर्मचारियों के लिए भी 2000 रुपये भत्ता तय करे सरकार।


          ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन हरियाणा
के राज्य प्रधान देवी राम, जिला प्रधान दिनेश पाली एवम् सीटू के जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने बताया कि केंद्र व राज्य सरकार सफाई कर्मियों को कोरोना योद्धा की उपाधि तो दे रही है। लेकिन उनकी सुरक्षा की कोई जिम्मेदारी नही ले रही। इस कोरोना महामारी में जब कोई भी व्यक्ति घर से बाहर निकलने के लिए तैयार नही है। उस वक्त सफाई कर्मचारी अपनी जान को जोखिम में डालकर भी पूरी मुस्तैदी से काम कर रहा है।  उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण ग्रामीण इलाकों में मरने वाले व्यक्तियों का दाह संस्कार ग्रामीण सफाई कर्मचारियों के द्वारा किया जा रहा है। इसके अलावा कोरोना केंद्रों पर साफ-सफाई का कार्य, गांव को सेनेटाइज करने तथा गांव की सफाई तक के सभी काम कर्मचारी अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर  कर रहे हैं। लेकिन ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को पर्याप्त मात्रा में पीपीई कीट, मास्क, दस्ताने और सेनेटाइजर आदि सुरक्षा उपकरण तक नही दिए जा रहे हैं। और किसी प्रकार का जोखिम भत्ता और बीमा कवरेज भी नहीं हो रहा है।  इससे सफाई कर्मचारियों में भय का वातावरण व्याप्त है।
           उन्होंने कहा कि ग्रामीण सफाई कर्मी लगातार अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलन के दबाव में ही सफाई कर्मियों की मांगों पर 20 फरवरी 2021 को उप मुख्यमंत्री एवं पंचायत मंत्री श्री दुष्यंत चौटाला के साथ विस्तारित वार्ता हुई उसके बाद 24 फरवरी को पंचायत विभाग के महानिदेशक रमेशचन्द्र बिढान के साथ ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन हरियाणा के प्रतिनिधिमंडल की बैठक हुई। इन बैठकों में कई मांगों पर सहमति बनी थी। लेकिन उसमें से किसी भी मांग को सरकार ने अभी तक लागू नही किया है। इतना ही नहीं बल्कि  4 अप्रैल को पंचकूला में राज्य के मुख्यमंत्री ने ग्रामीण सफाई कर्मचारियों के वेतन में 1500 रुपये मासिक की बढ़ोतरी का ऐलान किया था। लेकिन 1 महीने से अधिक का समय व्यतीत हो गया इस बढ़ोतरी का पत्र  सरकार ने जारी नही किया है।
           यूनियन नेताओ ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा घोषित 1500 रुपये की बढ़ोतरी न्यायसंगत नही है। क्योंकि अक्तूबर 2014 तक शहर के कच्चे सफाई कर्मियों और ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को 8100 रुपये वेतन मिलता था। लेकिन भाजपा के सत्ता में आने के बाद असमानता पैदा करते हुए आज 2000 मासिक का अंतर खड़ा कर दिया है। जो उचित नही है। यूनियन आगामी दिनों में इस असमानता के  खिलाफ प्रदेश भर में समान काम समान वेतन, रेगुलाइजेशन, वर्दी भत्ता बढ़ोतरी व धुलाई भत्ता लागू करने, झाड़ू भत्ता तय करने, महगांई अनुसार प्रत्येक 6 माह में वेतन बढ़ोतरी, महिला कर्मियों को बिना शर्त 6 माह का मातृत्व लाभ,       कर्मचारियों ने हरियाणा से कोरोना काल मे प्रत्येक कर्मचारी को 4000 रुपये मासिक जोखिम भत्ता, 50 लाख बीमा कवरेज, कोरोना से बचाव के लिए पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा उपकरण तुरन्त प्रभाव दिए जाए अन्यथा प्रदेश भर का सफाई कर्मचारी 18 मई के बाद सरकार के खिलाफ आंदोलन करने पर मजबूर होगा।

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