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श्रम कानूनों में किए गए संशोधनों के विरोध में उप श्रम आयुक्त फरीदाबाद कार्यालय के सम्मुख जोरदार धरना प्रदर्शन किया

Posted by : pramod goyal on : Thursday 25 March 2021 0 comments
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 फरीदाबाद 25 मार्च ज्वाइंट ट्रेड यूनियन काउंसिल फरीदाबाद के बैनर तले आज सैकड़ों मजदूरो ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर श्रम कानूनों में किए गए संशोधनों के विरोध में उप श्रम आयुक्त फरीदाबाद के सेक्टर 12 स्थित कार्यालय के सम्मुख जोरदार धरना प्रदर्शन किया। इसकी अध्यक्षता एटक के विशंभर सिंह, सीटू के जिला उप प्रधान वीरेंद्र पाल,  इंटक़ के जिला प्रधान हुकुमचंद बेनीवाल, हिंद मजदूर सभा के जिला प्रधान आर डी यादव, आईसीटी यूके के कामरेड जवाहरलाल ने  संयुक्त रूप से की। जबकि कार्रवाई का संचालन कन्वीनर लालबाबू शर्मा ने किया। धरने पर बैठे मजदूरों को सीटू के उपप्रधान वीरेंद्र पाल ने संबोधित किया किया। अपने संबोधन में उन्होंने देश की सरकार पर आनन-फानन में 44 श्रम कानूनों को चार वेज कोड मैं बदलने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि इस देश में यूनियन बनाने का अधिकार 1926 में ट्रेड यूनियन एक्ट बनने के बाद मिल गया था। लेकिन आज की सरकार इन कानूनों को बदल कर इनकी जगह मालिक परस्त कानून बना रही है। जिससे श्रमिक वर्ग को भारी नुकसान होगा। सभा को इंटक के कामरेड हुकम चंद बेनीवाल ने संबोधित करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार मजदूरों की बात को सुनने के लिए तैयार नहीं है। अनेकों कारखानों में लॉकडाउन अवधि का वेतन नहीं मिला इसकी शिकायत जब श्रम विभाग को की गई तो श्रमिक को न्याय नहीं मिला। धरने को एटक नेता कामरेड बिशंबर सिंह ने संबोधित करते हुए बताया कि यह सरकार मजदूरों की हितों पर चोट कानून बनाकर  मालिकों के पक्ष को मजबूत करती है। मौजूदा मजदूरों के हितों की रक्षा करने वाले कानूनों को बदल दिया गया है। इनकी जगह नहीं नए कानून बनाकर मजदूर के काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 कर दिए हैं। श्रम कानूनों में किए गए संशोधनों से मजदूर वर्ग को भारी निराशा हो रही है। इस धरने पर बोलते


हुए सीटू के जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह डंगवाल बताया कि सरकार मजदूरों को यूनियन बनाने के अधिकार से वंचित रखना चाहती है। इसके साथ साथ न्यूनतम वेतन का भुगतान,अंग भंग  होने पर मिलने वाला मुआवजा राशि, ग्रेजुएटी, बोनस का भुगतान, ओवर टाइम का भुगतान  सरकार नहीं करना चाहती है। इन कानूनों को समाप्त किया जा रहा है।लेबर कोर्ट भी बंद करने की योजना है। ताकि मजदूर  को कहीं पर भी न्याय नहीं मिल सके।सभी प्रकार के पुराने कानून बदल दिए हैं। इनकी जगह जो नए कानून बनाए हैं इनको कारपोरेट सेक्टरों के मन मुताबिक बना दिया गया है। अब मजदूरों को यूनियन बनाने का अधिकार नहीं मिलेगा। इसके साथ साथ हड़ताल धरने प्रदर्शन करने का अधिकार सरकार ने समाप्त कर दिए हैं। 44 श्रम कानून बदलकर चार लेबर कोड बना दिए गए हैं। मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी का अधिकार भी नहीं मिलेगा और कार्य दिवस भी बढ़ाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण कर रही है। जिसके कारण बेरोजगारी बढ़ेगी। निजी क्षेत्र को अधिक लाभ कमाने के लिए बाजार में उतारा जा रहा है। इससे महंगाई बेलगाम होते जा रही है। पेट्रोल, डीजल, गैस की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। इसका सीधा असर गरीबों पर पड़ रहा है। गैस का सिलेंडर की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है। जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घट रही हैं  फिर भी देश में तेल की कीमतें  कम होने  का नाम नहीं ले रही हैं। उन्होंने कहा कि आज देश के किसानों के आंदोलन को चार महीने हो गए हैं। लेकिन सरकार किसानों के खिलाफ विपरीत बनाए गए तीन कृषि कानूनों को रद्द नहीं कर रही हैं। किसान आंदोलन का समर्थन करते उन्होंने सरकार से समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बनाने और तीन कृषि कानून को रद्द करने की मांग की। उन्होंने ने कहा कि सरकार को हठधर्मिता का रास्ता छोड़कर बातचीत के रास्ते से समस्याओं का समाधान करना चाहिए। धरने का समापन करते हुए अध्यक्ष मंडल के सदस्य श्री विशंभर सिंह ने कहा कि कल 26 मार्च डीएलसी ऑफिस पर घर आने के बाद  डीसी फरीदाबाद को मांगों का ज्ञापन दिया जाएगा।

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