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सार्वजनिक सम्पत्ति को निजीकरण करने का पूरजोर विरोध प्रदर्शन किया

Posted by : pramod goyal on : Monday 15 March 2021 0 comments
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 फरीदाबाद,  15 मार्च। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के राज्य वरिष्ठ उपप्रधान नरेश कुमार शास्त्री, जिला सचिव बलबीर बालगुहेर, नगरपालिका के उपमहासचिव सुनील चिंडालिया, नगर निगम के जिला प्रधान गुरचरण सिंह, पर्यटन के दिगम्बर सिंह डागर, बिजली के शब्बीर अहमद, जगदीश चंद्र सिंचाई विभाग के नेतृत्व व बल्लभगढ़ में जिला प्रधान अशोक कुमार, नगरपालिका के नरेश भ


गवान, पशुपालन के राजबेल देशवाल, रोडवेज के रविन्द्र नागर, रामासरे यादव, सिंचाई के अंतर सिंह यादव, पर्यटन के सुभाषचन्द्र देशवाल के नेतृत्व में रेलवे स्टेशनों पर सार्वजनिक सम्पत्ति को निजीकरण करने का पूरजोर विरोध प्रदर्शन किया। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा  के वरिष्ठ उपप्रधान नरेश कुमार शास्त्री ने आरोप लगाया है कि सरकार के एजेंडे में कर्मचारी और उनके लंबित मुद्दे नहीं है। इसलिए बजट में कर्मचारियों की लंबित मांगों की पूरी तरह अनदेखी की गई। शुक्रवार को मुख्यमंत्री द्वारा पेश किए बजट में कर्मचारियों के लंबित मुद्दों को संबोधित न करने की घोर निन्दा की है। उन्होंने कहा कि सोमवार को आयोजित निजीकरण विरोधी दिवस पर रेलवे स्टेशनों पर किए गए प्रदर्शनों में कर्मचारियों व मजदूरों की मांगों की उपेक्षा का पूरजोर विरोध करते हैं।

उन्होंने कहा कि अगर कर्मचारियों के लंबित मुद्दों को संबोधित नहीं किया गया तो कर्मचारी आंदोलन तेज करने पर मजबूर होंगे। उन्होंने कांग्रेस व निर्दलीय विधायकों द्वारा उनको दिए ज्ञापनों के बावजूद अभी तक बजट सत्र में कर्मचारियों के मुद्दों को न उठाने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि कोरोना योद्धा कहें जाने वाले कर्मचारियों की अब छंटनी की जा रही है और उन्हें 6 से लेकर 11 महीने तक वेतन नहीं मिल पा रहा है।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश शास्त्री ने बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए शनिवार को यहां बताया कि ऐसा लगता है कि कर्मचारी और उनके मुद्दे सरकार के एजेंडे में नहीं है। उन्होंने बताया कि सीएम द्बारा शुक्रवार को पेश किए बजट में ठेका प्रथा समाप्त कर ठेका कर्मियों को बिचौलियों व शोषण से मुक्ति दिलाने, कच्चे कर्मियों को पक्का करने की नीति बनाने, पक्का होने तक समान काम समान वेतन व सेवा सुरक्षा प्रदान करने, केरल सरकार की तर्ज पर डीए बहाली करने, एनपीएस रद्द कर पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने व जन सेवाओं के किए जा रहे निजीकरण पर रोक लगाने आदि मांगों पर बजट में कुछ भी नहीं कहा गया है। उन्होंने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत आईसीडीएस सुपरवाइजरों, सीडीपीओएपीओ, आंकड़ा साहयकों को पांच महीने से वेतन नहीं मिला है। इसी प्रकार जन स्वास्थ्य विभाग में पंचायती पंप आपरेटरों को 11 महीने, हरियाणा टूरिज्म निगम के कर्मचारियों को करीब 6 महीने से और मेवात माडल स्कूलों में 6 महीने से वेतन नहीं मिला है। बजट में बकाया वेतन देने पर भी एक शब्द नही कहा गया है। जिससे कर्मचारियों को भारी निराशा हाथ लगी है। उन्होंने बताया कि बजट में बर्खास्त पीटीआई सहित छंटनी किए गए हजारों कर्मचारियों को वापस ड्यूटी पर लेने पर भी चुप्पी साध ली गई है। उन्होंने बताया कि बजट में पीपीपी मॉडल के माध्यम से सरकारी विभागों में तेजी से निजीकरण करने का रास्ता प्रशस्त किया गया है।  उन्होंने बताया कि प्राथमिक शिक्षा को प्ले स्कूल के बहाने आंगनबाड़ी व एनजीओ के हवाले की जा रहा है। शिक्षा के बजट में बढ़ोतरी करने की बजाय करीब 1200 करोड़ कम कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि खाली पड़े पदों को भरकर बेरोजगारों को रोजगार देने और नए स्कूल खोलने की बजाय निजीकरण पर जोर दिया गया है।

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