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ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन की बैठक में आंदोलन की रणनीति बनाई गई

Posted by : pramod goyal on : Wednesday 10 February 2021 0 comments
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 फरीदाबाद  10 फरवरी  ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन की बैठक नाहर सिंह पार्क बल्लभगढ़ में संपन्न हुई। बैठक में आंदोलन की रणनीति बनाई गई। इस बैठक की अध्यक्षता जिला प्रधान दिनेश पाली ने की जबकि संचालन महेंद्र मुंडोतिया ने किया। इस अवसर पर सीटू के जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह डंगवाल और राज्य कमेटी के प्रधान देवी राम राज्य कोषाध्यक्ष मनोज कुमार बाल गुहेर विशेष रूप से उपस्थित रहे। बैठक में आगामी 16 फरवरी को सीटू राज्य कमेटी के आह्वान पर परिवहन मंत्री के घेराव में शामिल होने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया गया। यूनियन के राज्य प्रधान देवी राम ने सरकार पर सफाई कर्मचारियों की जायज मांगों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि यह सरकार ग्रामीण सफाई कर्मचारियों की उपेक्षा कर रही है। उन्हें शहरी सफाई कर्मचारियों के बराबर वेतन नहीं दिया जा रहा है। फरीदाबाद जिले के 24 गांव नगर निगम में चले गए हैं। इनमें कार्यरत ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है। बीडीपीओ फरीदाबाद और बल्लभगढ़ इनके खातों को बंद कर चुका है जबकि नगर निगम में इन कर्मचारियों के वेतन की अदायगी के लिए कोई कार्यवाही नहीं हो रही है। बैठक में ग्रामीण सफाई कर्मचारियों के वेतन के भुगतान पर शीघ्र कार्रवाई करने की मांग उठाई गई। आज की बैठक में राज्य कमेटी के आव्हान पर मांगों के समर्थन में आगामी 13 मार्च को प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और पंचायत एवं विकास मंत्री श्री दुष्यंत चौटाला के विधानसभा क्षेत्र जींद उचाना में राज्य स्तरीय रैली में भाग लेने का निर्णय भी लिया गया है। उन्होंने बताया कि सरकार ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को रेगुलर नहीं कर रही है जब तक इन्हें नियमित नहीं किया जाता है तब तक न्यूनतम वेतन ₹24000 दिया जाए। वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने बताया कि प्रदेश में कार्यरत विभिन्न परियोजनाओं के  वर्कस, जैसे आंगनवाड़ी वर्करज, आशा वर्कर मिड डे मील, ग्रामीण चौकीदार, मदर ग्रुप समिति,वन  मजदूर यूनियन के  सैकड़ों कार्यकर्ता भी 16 फरवरी को कैबिनेट मंत्री श्री मूलचं


द शर्मा के कार्यालय पर अपनी लंबित मांगों को लेकर घेराव करके मुख्यमंत्री हरियाणा के नाम मांगों का ज्ञापन देंगे। हरियाणा सरकार मजदूर की  मांगों को लागू नहीं कर रही है केंद्र की सरकार किसान आंदोलन को तानाशाही पूर्ण तरीके से दबाना चाहती है। उन्होंने बताया कि मजदूरों की मुख्य मांगों में  न्यूनतम वेतन ₹24000 प्रतिमाह  करने, ठेकेदारी प्रथा बंद करने विभागों के

निजीकरण पर रोक लगाने और,  10 किलो अनाज प्रति व्यक्ति प्रतिमाह देने व ₹7500 रूपये देने ,मजदूर विरोधी चारों लेबर कानूनों को रद्द करने, बिजली बिल 2020 को जनहित में रद्द करने, इसके अलावा
आंगनवाड़ी, मिड डे मील, आशा वर्कर ,सफाई कर्मचारी ,ग्रामीण चौकीदार, भट्टा मजदूरों के पथेर की मजदूरी 750 करने, 
रहड़ी पट्टरी के दुकानदारों पर पथ विक्रेता कानून 2014 को लागू करने, नियमित कार्यों पर
 स्थाई भर्ती करके ठेकाप्रथा बंद करने, इत्यादि हैं। डंगवाल ने बताया कि इस सरकार ने आजादी से पहले बने श्रम कानूनों को बदल कर सभी मजदूरों को भट्टी में झोंकने का काम किया है उन्होंने कहा कि सरकार सभी विभागों के कच्चे कर्मचारी और मजदूरों को मास्टर रोल के मार्फत विभागीय रोल पर लेने की योजना बनाएं। ताकि सभी कच्चे कर्मचारी पक्का हो सकें। यह सरकार ने कर्मचारियों से वादा किया था कि भाजपा सरकार बनाने के बाद सभी नौजवानों को स्थाई रोजगार देंगे। और महंगाई पर रोक लगाने का काम करेंगे। लेकिन सरकार में महंगाई नहीं रोकी उल्टा कर्मचारियों को मिलने वाला महंगाई भत्ते की किस्त रोक दी। आज की बैठक को मनोज कुमार, अशोक कुमार, ओम प्रकाश, नरेश कुमार आदि ने भी संबोधित किया।

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