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जानवरों के प्रति सेवा का भाव बनाता है हर बच्चे को अच्छा और जिम्मेदार नागरिक - अर्पित जैन, पुलिस उपायुक्त

Posted by : pramod goyal on : Wednesday 2 December 2020 0 comments
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 फरीदाबाद: अगर बच्चों को बचपन से ही अपने आस-पास के जानवरों के प्रति सेवा के संस्कार दिए जाएं तो वे परिवार और समाज के प्रति  एक जिम्मेदार नागरिक बनेगें , क्योंकि ये सेवा-भाव फिर उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जायेगा । परिवार के बड़े लोगों को स्वयं दया और सेवा का भाव दिखाकर बच्चों को प्रेरित करना चाहिए । अगर हर व्यक्ति अपने आस-पास के जानवरों के भोजन - पानी,बीमारी का ध्यान रखें तो हम संसार से पीड़ा कम कर सकेंगे और एक ऐसे विश्व का निर्माण कर सकेंगे जहां हर जीव सुखपूर्वक रह सके।


जब से मानव ने सभ्यता सीखनी शुरू की और अपना विकास करना प्रारम्भ किया, लगभग तभी से उसने जानवरों के महत्व को भी समझ लिया था. उसने कुत्तों की वफ़ादारी को देखा और उसे अपना साथी बना लिया, जिससे उसे सुरक्षा मिली तो अपने भोजन और भूख की समस्याओं से निपटने के लिए उसने गाय और भैंस पालने शुरू कर दिए. सामान ढोने में उसने खच्चर तथा गधे को इस्तेमाल किया और अपनी यात्राओं को सुगम बनाने के लिए मानव ने घोड़े तथा ऊंट को चुना. साफ़ तौर पर मानव सभ्यता के विकास में पशुओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 

इसी क्रम में, बैल तथा भैसों से कृषि का काम कराना शुरू किया और इस तरह ये जानवर इनके सुख-दुःख के साथी बन गए. लेकिन जैसे-जैसे मानव आधुनिक होता गया उसकी निर्भरता जानवरों पर कम होती गयी और इनकी जगह मशीनों ने ले लिया. आज जानवरों को उन्हीं चंद लोगों द्वारा पाला जाता है जो इनसे अपनी आजीविका चलाते हैं. जाहिर है कि इनमें अधिकांश किसान ही हैं. हालाँकि, बढ़ती महंगाई की वजह से अब किसानों के लिए भी पशुपालन समस्या बन गया है।

लेकिन अब इन बेजुबानों को कुछ लोग अपना शिकार बनाते है और अपनी खुशी के लिए इन बेजुबानों को मारते , भगाते है। कुछ लोग तो हेवानियात कि सारी हदें पार कर देते है और इनको जान से मार देते है, परन्तु समाज में अब भी बहुत लोग इन बेजुबानों को प्यार करते है और उन्हें इनकी पीड़ा का एहसास भी है।


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