फरीदाबाद, 16 दिसंबर । फरीदाबाद के सबसे पुराने अस्पताल बादशाह खान का नाम पूर्व प्रधानमंत्री स्व श्री अटल बिहारी बाजपेई के नाम पर किए जाने को लेकर समाजसेवी अनुज भाटी ने "खिसयानी बिल्ली खम्बा नोचे" वाली कहावत सिद्ध होती बताई है।ओर साथ ही कहा की, आज जब शहर को सुविधाओं की जरूरत है या कहा जाए कि लोगो की सहूलियत के ध्यान की जरूरत है,वहां पर प्रदेश सरकार नाम बदलने में लगी है। बादशाह खान अस्पताल बरसों पुराना फरीदाबाद का मुख्य अस्पताल है। आज उसमे अनेको सुविधाओं का अभाव साफ नजर आता है।किन्तु सरकार व प्रशासन अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए नाम बदलकर लोगों को बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं। आज जब शहर के लोगों को मेडिकल सुविधाएं चाहिए, जिनमे नए डॉक्टर्स चाहिए, मेडिकल स्टाफ चाहिए, आधुनिक उपकरण चाहिए, वहाँ पर सिर्फ सरकार नाम बदलकर काम चला रही है। गौरतलब है कि जब से हस्पताल बना है जनसंख्या तो शहर की कई गुणा बढ़ गई है।किन्तु हस्पताल में सुविधाओं का कोई विकास या विस्तार नहीं हुआ है।जबकि जनसंख्या के मुताबिक हस्पताल में बेड़ों की भी संख्या बढ़ानी चाहिए थी।और उसमें अत्याधुनिक उपकरण भी आने चाइये थे।
भ्र्ष्टाचार की जड़े इतनी मजबूत हो गई हैं।कि आज अफसरशाही आपदा में अवसर ढूँढ कर लोगों की जेभ पर डाका डालने का काम कर रही है।चाहे वो चालान हो या कोई और कार्य।लोग बहुत बुरी तरह ठगा हुआ महसूस कर रहा है।
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