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इलाज में लापरवाही बरतने पर मंच ने क्यूआरजी हॉस्पिटल के खिलाफ कार्रवाई की मांग

Posted by : pramod goyal on : Monday 26 October 2020 0 comments
pramod goyal
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फरीदाबाद। बेहतर इलाज मिलने की चाहत से मरीज अस्पताल में भर्ती होते हैं लेकिन इलाज में लापरवाही बरतने पर अगर किसी की जान पर बन आए तो इसकी जांच होनी चाहिए और दोषी अस्पताल के खिलाफ उचित कार्रवाई होनी चाहिए। यह मांग हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने कोरोना का इलाज क्यूआरजी हॉस्पिटल सेक्टर 16 में कराने गए जवाहर कॉलोनी निवासी मुनेश पंडित की हालत खराब हो जाने पर की है। मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने बताया कि क्यूआरजी हॉस्पिटल की लापरवाही के शिकार हुए पंडित मनीष शर्मा ने मंच को बताया कि  उनकी कोरोनॉ रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर उन्होंने कुछ दिन घर पर ही आइसोलेटेड होकर कोरोना का इलाज किया। जिससे उन्हें  स्वास्थ्य में सुधार हुआ। 23 अक्टूबर की रात 100 से ऊपर बुखार होने पर डॉक्टर की सलाह पर 24 अक्टूबर को क्यूआरजी हॉस्पिटल में चेकअप के बाद डॉक्टर की सलाह पर एडमिट हो गया । और एडवांस के रूप में ₹25000 जमा करा दिए। वहां मुझे c1242 रूम नंबर allot किया गया। रूम में घुसने के साथ ही मुझे हवा में अजीब से गंध की महक महसूस हुई और मैने उसी समय इसकी शिकायत की स्टाफ ने यह कहकर की अभी रूम फ्रेशनर कर देते हैं उससे ठीक हो जाएगा ।5 मिनट के बाद ही मेरा वहां जी मिचलाने लगा और मुझे खांसी  होने लगी । जब कि पूरे कोरोनॉ काल मे मुझे कभी खांसी नही हुई थी लेकिन उस रूम के अंदर मेरी खांसी रुक नही रही थी स्टाफ को मैने बहुत बार कहा लेकिन कोई   भी मेरी मदद करने को नही आया। 2 बजे के करीब मैंने अपने थर्मामीटर से टेंपरेचर नापा तो वह 103 आया मैंने फिर स्टाफ को कहा मुझे बहुत बुखार है कोई दवाई दे दीजिए उनका जवाब था डॉक्टर की विजिट के बाद हीआपका इलाज होगा 3 बजे मैंने फिर कहा कि डॉक्टर को ही बुला दीजिए वह बोले डॉक्टर साहब अपने आप आएंगे  4 बजे तक मेरी खांसी लगातार बढ़ती रही ओर मेरे आंखों से आंसू आने लगे  लेकिन हॉस्पिटल की तरफ से कोई त्वज़ो नही दी गई जब खांसी जानलेवा होने लगी तो मैने अपने परिचितों व अपने परिवार सारी बात बताकर बुलाया तब तक मुझे 103 से 104 बुखार आ रहा था  लेकिन अस्पताल का कोई ध्यान नही था । मेरे परिवार वालों ने डिस्चार्ज करने के लिए कहा  लेकिन अस्पताल वाले डिस्चार्ज करने के लिए भी आना कानी करने लगे बाद में बड़ी मुश्किल से  डिस्चार्ज पर  राजी हुए ।जाते जाते भी अस्पताल वालों ने 3000 रुपये की डिमांड ओर रखी मैने वह भी जमा करा दिए डिस्चार्ज के बाद जैसे ही मैं अपनी गाड़ी मैं बैठा मेरी खांसी अपने आप कम होने लगी लेकिन अस्पताल के इंफेक्शन भरे कमरे  4 घंटे बिताने पर आगे कोई अन्य बीमारी शरीर के अंदर ना हो गई हो उसकी जांच व इलाज के लिए परिवार वालों ने मुझे मेदांता हॉस्पिटल गुड़गांव में दाखिल करा दिया है जहां मुझे काफी आराम है  और मैं स्वस्थ्य महसूस कर रहा हूँ 

मंच के जिला अध्यक्ष एडवोकेट शिक कुमार जोशी ने कहा है कि मनीष शर्मा के इलाज में जो लापरवाही की गई है उसकी उच्चस्तरीय जांच और दोषी अस्पताल के खिलाफ उचित कार्रवाई होनी चाहिए। जिससे यह अस्पताल अन्य किसी मरीज के साथ ऐसा न कर सके।

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