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मजदूरों और कर्मचारियों ने केंद्र एवम् राज्य सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया

Posted by : pramod goyal on : Wednesday 23 September 2020 0 comments
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 फरीदाबाद 23 सितंबर ज्वाइंट ट्रेड यूनियन काउंसिल के बैनर तले आज बुधवार को विभिन्न संगठनों के मजदूरों और कर्मचारियों ने केंद्र एवम् राज्य सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ लघु सचिवालय के सम्मुख जोरदार प्रदर्शन किया। इसके फौरन बाद देश  महामहिम राष्ट्रपति के नाम 10 सूत्री मांगों का ज्ञापन एसडीएम फरीदाबाद को सौंपा गया। ज्ञापन में दर्ज मांगो का उ


ल्लेख करते हुए बेचू गिरी, और वीरेंद्र सिंह डंगवाल ने बताया कि केंद्र सरकार मजदूरों के हितों में बने कानूनों को कमजोर करने के लिए पहले ही संसद में बेज कोड 2020 को पारित कर चुकी है। अब संसद के मानसून सत्र में  मजदूरों के अहित में इंडस्ट्रियल रिलेशन बिल 2020, कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी बिल 2020, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल 2020, को पारित करवा रही है। इन बिलों के पास होने से मजदूरों के सारे अधिकार छीन लिए जाएंगे।इसलिए देश की तमाम ट्रेड यूनियन केंद्र सरकार के इस मजदूर विरोधी निर्णय की घोर भर्त्सना कर रही हैं। इसके विरोध में निकट भविष्य में आंदोलन को तेज किया जाएगा। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सैकड़ों मजदूर राजस्थान भवन के सामने एकत्रित हुए। यहां से प्रदर्शन करते हुए उपायुक्त कार्यालय के सम्मुख पहुंचे। प्रदर्शनकारी हाथों में झंडे और नारे लिखे हुए प्ले कार्ड ले रहे थे। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व एटक़ के जिला प्रधान विशंभर सिंह, सीटू के जिला प्रधान निरंतर पराशर, एच एम एस के प्रधान त्रिलोक सिंह, बैंक कर्मचारी यूनियन के प्रधान कृपाराम शर्मा, आई सी टी यू के प्रधान जवाहरलाल, सर्व कर्मचारी संघ के वरिष्ठ उप प्रधान देवराज शर्मा इंटक़ के  हुकुमचंद बेनीवाल  ने संयुक्त रूप से किया। जबकि कार्यक्रम का संचालन कन्वीनर लालबाबू शर्मा कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि बीजेपी सरकार ने देश के मजदूरों व किसानों के खिलाफ हमलावर रुख अपना रखा है। कोरोना काल में बिना किसी तैयारी के किए गए लोकडाऊन ने करोड़ों रोजगार खत्म कर दिए। देश में मार्च महीने से पहले ही बेराजगारी अपने अब तक के सबसे उचे स्तर पर थी। ऐसे में संकट में फंसी जनता के विभिन्न तबकों को राहत देने की बजाय केन्द्र सरकार मजदूर-किसानों के अधिकारों को ही खत्म करने पर आमादा हो गई। विकराल रूप धारण करती जा रही बेरोजगारी को दूर करने के लिए सरकार ने  ठोस कदम नहीं उठाए हैं। रोजगार देने के बजाय सरकार ने  नई भर्ती पर रोक लगा दी है। सरकारी व सार्वजनिक क्षेत्र को बड़े कारपोरेट घरानों के हाथ में बेचा जा रहा है। केन्द्र सरकार ने मजदूर संगठनों व कर्मचारी फैडरेशनों के व्यापक विरोध के बावजूद 4 लेबर कोड संसद में पारित कर दिए हैं। किसान-विरोधी बिलों को  भारी विरोध के बावजूद संसद में पेश करके बिना मत विभाजन के पारित कर दिया है। केन्द्र सरकार द्वारा संसद में की गई एकतरफा कार्रवाई की सभी संगठनों ने कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति से  जनहित में देश के करोड़ों मजदूरों और किसानों के हितों में  के खिलाफ संसद में पारित इन कानूनों को स्वीकृति नहीं देने की अपील की। सीटू के उपाध्यक्ष वीरेंद्र पाल , एचएमएस के एसडी त्यागी, आरडी यादव, आई सी टी यू के कामरेड जवाहरलाल, सर्व कर्मचारी संघ के राजबीर देशवाल, ने केंद्र सरकार से मजदूरों के खिलाफ पारित प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की। आज के प्रदर्शन को कामरेड शिवप्रसाद, कामरेड विजय झा, धर्मवीर वैष्णव, आर डी यादव, त्रिलोक सिंह, हेमलता, सुधा पाल, रमेश तेवतिया, जितेंद्र कुमार आदि ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि उनकी मांगे निम्न प्रकार हैं। मजदूरों के हितों में बने कानूनों को कमजोर व निरस्त करने के निर्णय वापस हों। इस बारे संसद में पहले पारित किए जा चुके वेज कोड-2020, इंडस्ट्रीयल रिलेशन बिल-2020, कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी-2020, आकुपेशनल सेफ्टी हैल्थ एंड वर्किंग कंडीशन-2020 को स्वीकृत न किया जाए व इन्हें वापस लौटाया जाए। 


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