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फरीदाबाद।
सांसद धर्मवीर सिंह ने लोकसभा में सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने का मुद्दा उठाया है। सिंह ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक से पूछे सवाल में कहा है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है इसे सुधारने के लिए अधिकारियों, सांसदों, विधायकों और मंत्रियों के बच्चों की स्कूली शिक्षा सरकारी स्कूलों में अनिवार्य कर दी जाए। सांसद ने तर्क दिया है कि व्यवस्था चलाने वाले लोगों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ेंगे तो स्कूलों में सभी तरह की सुविधाएं मिलने लगेंगी। ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश शर्मा ने सत्तारूढ़ दल भाजपा के सांसद धर्मवीर सिंह द्वारा लोकसभा में उठाएंगे इस महत्वपूर्ण मुद्दे के लिए उनके साहस की प्रशंसा की है। आईपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि वह इस महत्वपूर्ण विषय पर उचित कार्रवाई करते हुए संसद में कानून पारित कराएं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने श्री सिंह द्वारा उठाए गए प्रश्नों का उत्तर देते हुए सरकारी स्कूलों में कार्यरत अध्यापकों की संख्या व स्थिति के बारे में संसद में जानकारी दी। जिसके मुताबिक देश भर में सरकारी स्कूलों में 6184467 शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं इनमें से 1060139 पद रिक्त हैं । केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि शिक्षकों की भर्ती और स्कूली शिक्षा बेहतर करने का काम राज्य सरकारों का है। इस पर धर्मवीर सिंह ने कहा कि अगर नेताओं व अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पड़ेंगे तो सरकारी स्कूलों में ना तो शिक्षकों की कोई कमी रहेगी और ना संसाधनों की। आईपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है हरियाणा में शिक्षकों के 106263 पद स्वीकृत है जिनमें से 10369 पद रिक्त हैं। ऐसे में हरियाणा में सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर कैसे सुधर सकता है। केंद्र व राज्य सरकार प्राइवेट शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ही सरकारी शिक्षा के ढांचे को तहस-नहस कर रही है।आईपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा है कि सरकार पूरी तरह से प्राइवेट कॉलेज व स्कूलों को बढ़ावा और उनके संचालकों को संरक्षण प्रदान कर रही है। इससे ज्यादा क्या शर्मनाक बात होगी कि सरकारी स्कूलों की कंडम व जर्जर हो चुकी बिल्डिंग की जगह नई बिल्डिंग बनवाने के लिए आईपा को पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट का सहारा लेना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद, विधायक, मंडल कमिश्नर, उपायुक्त प्राइवेट स्कूलों में तो मुख्य अतिथि बनकर जाना पसंद करते हैं लेकिन सरकारी स्कूलों में जाने में उन्हें शर्म आती है। ऐसी हालात में प्राइवेट स्कूल संचालकों के हौसले तो अपने आप बुलंद होंगे। आम जनता को भी सरकारी कॉलेज व स्कूलों की दशा में सुधार कराने के लिए अपने चुने हुए जनप्रतिनिधियों के सामने इस विषय पर जोर शोर से आवाज उठानी चाहिए ।
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