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फरीदाबाद।
राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन एच तीन फरीदाबाद की जूनियर रेड क्रॉस, गाइड तथा सैंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा के निर्देश में वर्चुअल शिक्षण के अन्तर्गत बच्चों को गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की पुण्य तिथि के अवसर पर उन के साहित्यिक जीवन से अध्यापकों तथा बच्चों को परिचित करवाया। बच्चों को बताया कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई 1861 को कोलकाता में हुआ था। रवींद्रनाथ टैगोर एक उपन्यासकार, कवि, नाटककार, चित्रकार, गीतकार और दार्शनिक थे। रवींद्रनाथ टैगोर एशिया के प्रथम व्यक्ति थे, जिन्हें नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि बहुमुखी प्रतिभा के धनी गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर की आज पुण्यतिथि है, महान विचारक और कवि गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर ने देश के राष्ट्रगान 'जन गण मन' और बांग्लादेश के राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' की रचना की थी। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रवीन्द्र नाथ टैगोर ने कई बेहतरीन और प्रेरणादायक विचार दिए। जो आज की पीढ़ी को जीने की राह दिखाते हैं। उन्होंने एक हजार कविताएँ, आठ उपन्यास, आठ कहानी संग्रह और विभिन्न विषयों पर अनेक लेख लिखे। इतना ही नहीं रवींद्रनाथ टैगोर संगीतप्रेमी थे और उन्होंने अपने जीवन में दो हजार से अधिक गीतों की रचना की। उनके लिखे दो गीत आज भारत और बांग्लादेश के राष्ट्रगान हैं। गीतांजलि उन के द्वारा रचा गया श्रेष्ठ उपन्यास है। गीतांजलि के शब्द माधुर्य ने संपूर्ण विश्व को सम्मोहित कर लिया। पहली बार भारतीय मनीषा की झलक पश्चिमी जगत ने देखी। गीतांजलि के प्रकाशित होने के एक वर्ष बाद 1913 में रवींद्रनाथ टैगोर को नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। टैगोर अपनी सदी के महान रचनाधर्मी ही नहीं थे, बल्कि वो इस पृथ्वी के पहले ऐसे इंसान थे जो पूर्वी और पश्चिमी दुनिया के मध्य सेतु बने थे। प्राचार्य, ब्रिगेड अधिकारी तथा जूनियर रेडक्रॉस काउन्सलर रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने बताया कि विद्यालय की छात्राओं ने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के सुंदर वर्चुअल पोस्टर बना कर उन की प्रतिभा को नमन किया। इस अवसर पर प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा, प्रवक्ता जसनीत कौर तथा अन्य सभी अध्यापकों के सानिध्य में विद्यालय की बारहवीं की छात्रा , कोमल और सिमरन ने वर्चुअल निबंध और रिया तथा सिमरन ने वर्चुअल पोस्टर और पेंटिंग बना कर टैगोर के भारतीय साहित्य और संस्कृति में दिए गए अमिट और अमूल्य योगदान को नमन कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
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