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व्हील चेयर पर सिमटी जिंदगी के बावजूद हिसार में जन्मी पैरा शूटर माधवी देश के लिए जीतना चाहती है पदक

Posted by : pramod goyal on : Tuesday 18 August 2020 0 comments
pramod goyal
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 फरीदाबाद। दिल में कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो इंसान असक्षम शरीर होने के बावजूद भी बहुत कुछ कर सकता है ।  ऐसी ही कहानी है जांबाज महिला माधवी हंस की जिसका जन्म 21 अप्रैल 1976 को हिसार में हुआ था बचपन से ही  माधवी के बड़े सपने थे  और वह आम आदमी की तरह स्वस्थ और फिट थी । वर्ष 2000 में उसने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से इंग्लिश में एमए किया  लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था  और वर्ष 2002 में एक कार एक्सीडेंट स्पाइनल कॉर्ड मैं गंभी
र चोट आने के बाद उसकी जिंदगी व्हील चेयर  पर सिमट गई  लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और वर्ष 2009 में अपने भाई के बिजनेस में उसकी मदद करनी शुरू कर दी । लेकिन माधुरी को कहा आराम था उसने वर्ष 2015 में अपनी रुचि खेल के प्रति जगाई और दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में  पैरा स्पोर्ट्स डिस्कस थ्रो और शॉट पुट में ट्रेनिंग ली और इसके बाद वर्ष 2016  --- दुबई  अन्तरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में  भाग लिया व अच्छा प्रदर्शन किया ।  परंतु शारीरिक समस्या के कारण  मेडिकल एडवाइस पर इस  खेल को छोड़ना पड़ा।  लेकिन माधवी यहां भी नहीं रुकी और वर्ष 2017 में मानसिक रूप से सक्षम व सशक्त  माधवी ने  अब 10 - मीटर एयर पिस्टल शूटिंग को चुना और कड़ी मेहनत के बाद वर्ष 2017  व 2018   में  लगातार दो वर्ष  हरियाणा स्टेट प्रतियोगिता में  प्रथम स्थान पाकर गोल्ड मेडल  जीते ।  इसके बाद माधवी ने 2020 में कोरोना के कारण   शुटिंग रेंज  बन्द  होने से  माधवी अब  "आत्मनिर्भर  भारत " मिशन के अंतर्गत  अभावग्रस्त महिलाओं (slum dwellers) को विभिन्न प्रकार की स्वदेशी वस्तुएं जैसे   - जूट, पेपर बैग, मास्क,  राखी , दीप आदि  बनाने का प्रशिक्षण  दे रही हैं।   
सामाजिक कार्यो  के साथ अब माधवी  अपने शूटिंग करियर को लेकर आत्मविश्वास से परिपूर्ण है और भविष्य में  अन्तरराष्ट्रीय  प्रतियोगिताओं  में  देश के लिए पदक जीत  कर  नयी ऊचाईयों  को छूना चाहती हैं।

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