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फरीदाबाद। बल्लभगढ़ की सुभाष कॉलोनी में बेसहारा खुले आसमान के नीचे तंबू में जीवन बसर कर रही बुजुर्ग महिला की मदद करने महिला अयोग पहुंचा । महिला आयोग की सदस्य रेनू भाटिया ने रेड क्रॉस के साथ मिलकर इस बुजुर्ग महिला से मुलाकात की और उसे अपनी कार में बिठाकर वन स्टाप सेन्टर " सखी " में ले गई। हालांकि बुजुर्ग महिला ने पहले तो महिला आयोग और रेड क्रॉस टीम के साथ जाने से मना कर दिया लेकिन बाद में रेनू भाटिया द्वारा समझाने प
र वह उनके साथ वन स्टॉप सेंटर पर जाने को राजी हो गई इस शर्त के साथ कि यदि वहां उसका मन नहीं लगा और अच्छी देखभाल नहीं हुई तो वह वापस अपनी झुग्गी में आ जाएगी जहां आसपास के लोग उसे खाना देते हैं और उसकी देखभाल करते हैं ।
दिखाई दे रहा नजारा फरीदाबाद में बल्लभगढ़ की सुभाष कॉलोनी का है, जहां एक 85 साल की बिरमा नामक महिला अपने बेटों की बेकद्री के कारण खुले आसमान के नीचे एक त्रिपाल के आसरे जीवन बसर करने पर मजबूर है। बुढ़ापे में किसी भी माता-पिता को अपने दिन काटने के लिए बच्चों की जरूरत पड़ती है लेकिन बच्चों ने मां को दुत्कार दिया और खुले आसमान के नीचे रहने पर मजबूर कर दिया। आज जहां महिला रह रही है वहां उसके पड़ोसी सुबह और शाम का खाना देकर जाते हैं और महिला का पेट पाल रहे हैं। इस मामले पर संज्ञान लेते हुए महिला आयोग की सदस्य रेनू भाटिया और रेड क्रॉस महिला को ले जाने के लिए पहुंचे लेकिन बुजुर्ग महिला ने टीम के साथ जाने से साफ तौर पर इंकार कर दिया। रेनू भाटिया द्वारा आश्वासन देने के बाद आखिरकार बुजुर्ग महिला मान गई जिसे अब वन स्टाप सेन्टर " सखी " में लाया गया है ।
महिला आयोग के सदस्य रेनू भाटिया ने बताया की 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला एक झुग्गी में रह रही थी जिसे उसके परिजनों ने छोड़ दिया था मात्र एक त्रिपाल के सहारे आंधी बारिश तूफान में रहना संभव नहीं है हालांकि आसपास के लोग इसे सुबह शाम का खाना देते हैं और इसका ख्याल भी रखते हैं जिसके चलते यह महिला पहले तो आने को तैयार नहीं थी लेकिन बाद में समझाने के बाद इस शर्त पर चलने को तैयार हुई कि वह चार-पांच दिन रहकर देखेगी अगर उसका मन लगा और उसे सुविधाएं मिली तो वह रहेगी नहीं तो वह वापस झुग्गी में आ जाएगी । उन्होंने कहा की फिलहाल 5 दिन के लिए इस माता को
अब वन स्टाप सेन्टर " सखी " में रखा जाएगा और यदि इसका मन लग गया तो फिर इसे वृद्ध आश्रम में भेजा जाएगा ।
र वह उनके साथ वन स्टॉप सेंटर पर जाने को राजी हो गई इस शर्त के साथ कि यदि वहां उसका मन नहीं लगा और अच्छी देखभाल नहीं हुई तो वह वापस अपनी झुग्गी में आ जाएगी जहां आसपास के लोग उसे खाना देते हैं और उसकी देखभाल करते हैं ।
दिखाई दे रहा नजारा फरीदाबाद में बल्लभगढ़ की सुभाष कॉलोनी का है, जहां एक 85 साल की बिरमा नामक महिला अपने बेटों की बेकद्री के कारण खुले आसमान के नीचे एक त्रिपाल के आसरे जीवन बसर करने पर मजबूर है। बुढ़ापे में किसी भी माता-पिता को अपने दिन काटने के लिए बच्चों की जरूरत पड़ती है लेकिन बच्चों ने मां को दुत्कार दिया और खुले आसमान के नीचे रहने पर मजबूर कर दिया। आज जहां महिला रह रही है वहां उसके पड़ोसी सुबह और शाम का खाना देकर जाते हैं और महिला का पेट पाल रहे हैं। इस मामले पर संज्ञान लेते हुए महिला आयोग की सदस्य रेनू भाटिया और रेड क्रॉस महिला को ले जाने के लिए पहुंचे लेकिन बुजुर्ग महिला ने टीम के साथ जाने से साफ तौर पर इंकार कर दिया। रेनू भाटिया द्वारा आश्वासन देने के बाद आखिरकार बुजुर्ग महिला मान गई जिसे अब वन स्टाप सेन्टर " सखी " में लाया गया है ।
महिला आयोग के सदस्य रेनू भाटिया ने बताया की 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला एक झुग्गी में रह रही थी जिसे उसके परिजनों ने छोड़ दिया था मात्र एक त्रिपाल के सहारे आंधी बारिश तूफान में रहना संभव नहीं है हालांकि आसपास के लोग इसे सुबह शाम का खाना देते हैं और इसका ख्याल भी रखते हैं जिसके चलते यह महिला पहले तो आने को तैयार नहीं थी लेकिन बाद में समझाने के बाद इस शर्त पर चलने को तैयार हुई कि वह चार-पांच दिन रहकर देखेगी अगर उसका मन लगा और उसे सुविधाएं मिली तो वह रहेगी नहीं तो वह वापस झुग्गी में आ जाएगी । उन्होंने कहा की फिलहाल 5 दिन के लिए इस माता को
अब वन स्टाप सेन्टर " सखी " में रखा जाएगा और यदि इसका मन लग गया तो फिर इसे वृद्ध आश्रम में भेजा जाएगा ।
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