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सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक - इस वर्ष भी छुपाया लगभग 400 करोड़ रुपए का एनपीए.

Posted by : pramod goyal on : Wednesday 12 August 2020 0 comments
pramod goyal
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फरीदाबाद। सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक जहां हर घोटाला होता है पुराने से बड़ा.हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी छुपाया लगभग 400 करोड़ रुपए का एनपीए.
बैंक ने पिछले 5-6 साल में गलत  आय दिखा कर लगभग 450 करोड़ रुपए कर भर दिया।
 मुकेश कुमार जोशी मुख्य समन्वयक सर्व हरियाणा बैंक अधिकारी संगठन और गुड़गांव ग्रामीण बैंक श्रमिक संगठन ने बताया कि हमने इसकी शिकायत सीबीआई, सीवीसी, डीएफएस, पंजाब नेशनल बैंक से की है।
29-11-2013 को जब गुडगाँव ग्रामीण बैं
क एवं हरियाणा ग्रामीण बैंक का विलय हुआ तो राजनैतिक हस्तक्षेप एवं फर्जी आंकङों के सहारे इस बैंक को पंजाब नैशनल बैंक ने हथिया तो लिया पर इसको चलाने लायक न तो पीएनबी के पास ईमानदार अधिकारी हैं और न ही इच्छा शक्ति। यह बैंक तो पीएनबी के अधिकारियों के लिए ऐशगाह है। यहाॅ ऐसा कोई काम नही होता जिसमे भ्रष्टाचार न हो और उसको छिपाने के लिए फर्जी तथ्य ही नही, फर्जी बेलेंस सीट तक बना दी जाती है। सोचिए एक छोटे से बैंक मे इतनी गङबङ हो तो प्रायोजक बैंक मे उसके अनुपात मे क्या हो सकता है। 

विलय के समय हरियाणा ग्रामीण बैंक के आंकङों मे मनी लांडरिंग द्वारा ईमडी के फर्जी लोन एवं उनकी जमा को मुनाफा दिखाकर गुडगाँव ग्रामीण बैंक के एक हजार करोङ के रिजर्व को जिस प्रकार प्रवीण जैन ने हथियाआ उसके बदले उसके सभी कारनामे पीएनबी की फाइलों मे दबते रहे।लगातार मिल रहे संकेतों से यह भान तो हो रहा था कि बैंक की हालत ऐसी नही है जैसी दिखाई जा रही है। फिर बल मिला  31-03-2014 की बेलेंस सीट जब यह मर्जर से पहले वाला आंकङा ही नही छू सकी। फिर यह कानाफूसी जारी थी की एनपीए छिपाया जा रहा है।उपलब्ध रिकार्ड के अनुसार सर्वप्रथम श्री डी वी एस यादव ने जून 2017 मे इस सम्बन्ध मे आरबीआई को एक पत्र लिखा था, साथ मे सल॔ग्न, कि इस बैंक मे एन पी ए छिपाया जा रहा है। जब हमने इस तरफ ध्यान दिया तो बैंक द्वारा तैयार किया गया डाटा मिला जो हमने 25-02-2018 की शिकायत के साथ लगाया था और जिसके अनुसार केवल छः रीजन छिपाया गया  एनपीए 945.64 करोङ था और डी आई 125 करोङ। यह भी ध्यान वाली बात है कि यह 125 करोङ केवल एक से दो साल का ब्याज था न कि आरबीआई के अनुसार पूरा ब्याज जो लगभग 317 करोङ बनता था।इस लुकाछिपी के खेल से बैंक को लाभ मे दिखाकर सभी प्रकार की सहूलियत ली  जा रही थी जिसमे अपनी प्रमोशन पाना व भ्रष्ट व्यक्तियों को प्रमोट करना, फर्जी बिल से गबन, बिल्डिंग मे गबन इतना ही नहीं पिछले कुछ सालों में  झूठा लाभ दिखा कर लगभग 445 करोड रुपए इनकम टैक्स जमा कर दिया। । अक्टूबर 2018 के आते आते यह एनपीए बढकर, 1750 करोङ व डी आई 650 करोङ हो गया जब आधे अधूरे मन से यह एन पी ए तो डाल दिया पर डी आई खा गए।  यह बात 31-03-19 की आडिट के दौरान आडिटर ने पकङा ली। फिर नाबार्ड, पीएनबी आदि ने जिस प्रकार सहयोग करके लीपा पोती की है वह कारपोरेट भ्रष्टाचार की मिशाल बन गया।
बैंक के 31-03-19 की आडिट का मुख्य जिम्मा सानमार्क एवं एसोसिएट को दिया। जिसमे उसने 30-06-2019 को दी अपनी रिपोर्ट, संलग्न, मे इस बेलेंस सीट पर हस्ताक्षर करने से पहले टिप्पणी की कि इस प्रकार का डाटा तो बैंक या व्यवसाय बन्द करने पर ही किया जाता है। बोर्ड ने इस पर बेलेंस सीट को स्वीकार नही किया और मौखिक रूप से अध्यक्ष को सलाह दी कि आडिटर की आपति दूर करें।बोर्ड की सलाह पर लीपा पोती हेतू आडिटर से सम्पर्क कर मान मनुहार की गई की वह उपलब्ध लाभ की राशि तक की डी आई करदे पर वह वास्तविक पर ही हस्ताक्षर करना चाहते थे। आखिर 26-07-19 की अपनी  रिपोर्ट मे, संलग्न, एनपीए एवं डी आई छिपाने के कारण अपना आवश्यक वैधानिक सेर्टीफिकेट देने से मना कर दिया। अगर यह वास्तविक होता तो बैंक करीब 600 करोङ की हानि दर्शाता।
इस प्रकार 31-03-19 के आंकङों की आडिट पूरी नही हुई पर बैंक के बोर्ड मेम्बर भी पता नही किस लालच से सही बेलेंस सीट तैयार करवाने की बजाय गङबङ करने के लिए अध्यक्ष के साथ खङे हो गए जैसे पहले वे भर्ती एवं प्रोमोशन की गङबङ मे शामिल थे। मेरी सरकार से मांग है कि इस बैंक के बोर्ड के निर्णयों की भी जांच होनी चाहिए।और बेलेंस सीट सही करने की जगह आडिटर ही बदल लिए। एक फर्म टास्की लगाई गई। आरटीआइ से प्राप्त जानकारी अनुसार इस प्रकार के कार्य की अधिकृत सूची मे इसका नाम ही नही था। इसी ने पिछले वर्ष बेलेंस सीट साईन की थी। इस फर्म ने भी 31-03-2019 के लिए 26-08-2019 को जारी प्रमाणपत्र मे कई बाते घुमा दी। मसलन यह री आडिट है- आडिट तो हुई ही नही। 488 ब्राच की रिपोर्ट सही मान ली- पुराने आडिटर ने उनका रिकार्ड ही तो चाहा था। इनकी 20 ब्रा च की आडिट मे 90 करोङ के लाभ धुल सकते हैं तो 500 ब्रा च मे क्या होगा। इनहोने 15 ब्रा च पहले की थी अगर उनकी आडिट ही ये सानमार्क की टिप्पणी अनुसार करते तो उनमे ही 60 करोङ लाभ धुल जाता।हमारी जानकारी मे यह रिपोर्ट आने पर बैंक ने पत्र क्रमांक HO/22/20 दिनांक 09-10-2019 को पीएनबी को लिखे पत्र मे माना कि वास्तविक   घाटा 600 करोड़ से ज्यादा भी हो सकता है।
इस बार तो आडिटर को मनाने हेतू उगाही भी की गई है। एक जगह उगाही खाते के द्वारा हुई है जिसकी स्टेटमेन्ट साथ है। आडिटर भी मर्जी से टास्की एसोसिएट नियुक्ति करवा लिया । बोर्ड के एक सदस्य को पहले ही खुश करने के लिए बिना इन्टरव्यू एक स्केल चार बना दिया।
बैंक ने स्वयं अपने पत्र संख्या 2/20 में घोषित किया कि  प्रस्तावित एनपीए  574 करोड़ रु है।  लेकिन बैंक ने 31.3.20 को एनपीए के रूप में केवल 200 करोड़ की घोषणा की, इस प्रकार बैंक ने फिर से  लगभग 400 करोड़ एनपीए छुपाया।  अगर बैंक वास्तविक एन पी ए  घोषित करता तो बैंक लगभग 100 करोड़ का नुकसान होता। हर वर्ष की तरह बैलेंस शीट में घोषित परिणाम फिर से अधिकारियों और जनता को मूर्ख बनाने का एक और शरारती कार्य है

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