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केन्द्र सरकार जनता के खून-पसीने से खड़े किए सरकारी विभागों एवं उपक्रमों को पूंजीपतियों के हवाले कर रही है - सुभाष लांबा

Posted by : pramod goyal on : Monday 27 July 2020 0 comments
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फरीदाबाद।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने आरोप लगाया है कि " सौगंध इस मिट्टी की खाते हैं,देश को नही बिकने देंगे " का भावनात्मक नारा देकर सत्ता में आई केन्द्र सरकार जनता के खून-पसीने से खड़े किए सरकारी विभागों एवं उपक्रमों को पूंजीपतियों के हवाले कर रही है। उन्होंने कहा कि यह सब बड़े पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। जिसको देश प्रेमी एवं राष्ट्रवादी लोग बिल्कुल भी सहन नही कर सकते। उन्होंने ऐलान किया की देश के सार्वजनिक क्षेत्र, लोकतंत्र,सरकारी विभागों, संवैधानिक संस्थाओं, जनतांत्रिक अधिकारों,श्रम कानूनों व संविधान को बचाने की मांग को लेकर कर्मचारी एवं मजदूर "भारत छोड़ो आंदोलन"की 78 वीं वर्षगांठ पर 9 अगस्त को प्रदेशभर में सत्याग्रह करेंगे। जिसमें देश की सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियन एवं फैडरेशन और कर्मचारी संघों की फैडरेशन शामिल होंगी। उन्होंने बताया कि केन्द्र एवं राज्य सरकारों के उपरोक्त कारनामों के कारण ना चाहते हुए भी कर्मचारियों एवं मजदूरों के दबाव में भाजपा के मजदूर संगठन को विरोध पर आने पर मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार पिछले 8 सालों से जेबीटी शिक्षकों की भर्ती नहीं कर रही है, जिसके कारण हजारों एचटेट परीक्षा पास किए नौजवानों का इसी महीने एचटेट प्रमाण पत्र अमान्य हो जाएगा, क्योंकि उसकी वैधता ही 7 साल की है। उन्होंने बताया कि जेबीटी शिक्षकों की शीध्र भर्ती निकालने और बिजली निगमों में 2019 में विज्ञापित 146 जूनियर सिस्टम इंजीनियर के पदों का परिणाम घोषित करवाने की मांग को लेकर कर्मचारी 5 अगस्त को सभी डीसी आफिस पर प्रर्दशन करेंगे।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा व वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री ने बताया कि कोरोना महामारी में भी सरकार बिजली वितरण प्रणाली को निजी हाथों में सौंपने जा रही है। सरकारी बेड़े में सरकारी बसों को शामिल करने की बजाय प्राईवेट बसों को रुट परमिट देने का फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि सरकारी स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करके जनता को कोरोना जैसी महामारियों से बचाने और जनता को निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की बजाय स्वास्थ्य सेवाओं को भी बाजार के हवाले किया जा रहा है। शिक्षा पर करीब करीब पूंजीपतियों का कब्जा स्थापित हो गया है। जहां पैरेंट्स और निजी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों का भारी शोषण हो रहा है। कोरोना का फायदा उठाकर निजी स्कूलों ने 20 से 30 प्रतिशत स्टाफ को नौकरी से निकाल दिया और बाकी शिक्षकों को भी 50 प्रतिशत ही वेतन दिया जा रहा है। बकाया वेतन पर पूरी तरह चुप्पी साध ली गई है। जबकि 90-95 प्रतिशत फीस आ चुकी है। उन्होंने बताया कि करीब दो महीने से 1983 निर्दोष पीटीआई अपनी सेवा बहाली की मांग को लेकर सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जिसको लेकर प्रदेश के तमाम विभागों के कर्मचारियों में भारी रोष है।

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