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कोयला मजदूरों की हड़ताल के समर्थन में बिजली कर्मचारियों ने विरोध प्रर्दशन किया

Posted by : pramod goyal on : Thursday 2 July 2020 0 comments
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फरीदाबाद। कोयला खदानों को निजी हाथों में बेचने के खिलाफ कोयला मजदूरों की आज से शुरू हुई तीन दिवसीय हड़ताल के समर्थन में बृहस्पतिवार को बिजली कर्मचारियों ने सब डिवीजन स्तर पर विरोध प्रर्दशन कर एकजुटता प्रकट की। आल हरियाणा पावर कारपोरेशन वर्कर यूनियन के बेनर तले आयोजित इन प्रदर्शनों का नेतृत्व एनआईटी डिवीजन में प्रधान भुप सिं
ह, सचिव गिरीश चंद्र व कोषाध्यक्ष सुरेन्द्र शर्मा, बल्लभगढ़ में रमेश तेवतिया व सचिव कृष्ण कुमार,ओल्ड फरीदाबाद में प्रधान सतीश छाबड़ी व सचिव करतार सिंह और ग्रेटर फरीदाबाद में प्रधान दिनेश शर्मा व सचिव अशरफ खांन आदि पदाधिकारी कर रहे थे। आल हरियाणा पावर कारपोरेशन वर्कर यूनियन की केन्द्रीय कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुभाष लांबा, उपाध्यक्ष सतपाल नरवत,सीसी सदस्य शब्बीर अहमद गनी,सर्कल सचिव अशोक कुमार व रामचरण ने भी प्रदर्शनों में भाग लिया। प्रदर्शनों में बर्खास्त किए 1983 पीटीआई को बहाल करने व एनएचएम कर्मचारियों का बिना शर्त अनुबंध नवीनीकरण करने की मांग की।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष व आल हरियाणा पावर कारपोरेशनज वर्कर यूनियन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने कर्मचारियों को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि आत्मनिर्भर भारत के नाम पर कोरोना  को अवसर में बदलकर केन्द्र सरकार कोयला खदानों को भी बेच रही है। जिसके खिलाफ कोयला खदानों में काम करने वाले सभी 5.5 लाख मजदूर बृहस्पतिवार से तीन दिन की हड़ताल पर चले गए हैं। उन्होंने बताया कि कोयला मजदूरों की हड़ताल के समर्थन में सभी राज्यों के बिजली कर्मचारियों ने आज एकजुटता प्रकट करते हुए देशभर में प्रदर्शन किए और केन्द्र सरकार से कोयला खदानों को बेचने का फैसला वापस लेने की मांग की है। उन्होंने बताया कि इस हड़ताल का दायरा इतना व्यापक है कि हड़ताल के समर्थन में कोयला ढुलाई में लगें ट्रक मालिकों व खदानों के आसपास के दुकानदारों भी हड़ताल पर चले गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार कोरोना को अवसर के रूप में प्रयोग करते हुए रेलवे, बिजली, परिवहन, कोयला, खनिज, अंतरिक्ष सहित सरकारी विभागों और उपक्रमों को देशी विदेशी पूंजीपतियों को बेच रही है। उन्होंने कहा कि 150 निजी यात्री रेलगाड़ी चलाने का भी फैसला कर दिया है। उन्होंने बताया की सरकार कोरोना काल में ही बिजली निजीकरण का संशोधित बिल 2020 को पारित करवाने पर आमादा है। जिसके बाद बिजली किसानों व गरीबों की पहुंच से बाहर हो जाएगी। 

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