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सरकारी शिक्षा को सशक्त बनाकर शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लगाई जाए , आईपा ने तय किया 11सूत्री एजेंडा

Posted by : pramod goyal on : Monday 27 July 2020 0 comments
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फरीदाबाद। ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन (आईपा) कोर कमेटी की ऑनलाइन जूम मीटिंग फरीदाबाद में आयोजित की गई जिसमें सरकारी शिक्षा में सुधार कराने व शिक्षा के व्यवसायीकरण पर रोक लगवाने को लेकर चर्चा की गई और एक ग्यारह सूत्री एजेंडा/मांगपत्र ब
नाकर केंद्र सरकार को भेजकर उस पर कार्रवाई करने की मांग की है। मीटिंग की अध्यक्षता आर वेंकट रेड्डी ने की। मीटिंग में 
आईपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल, महासचिव कैलाश शर्मा सहित धन श्री प्रकाश, मैडम शांता सिन्हा, नलिनी जुनेजा, शरबत अली सुभाष लांबा, सुधा झा, अभिषेक रंजन, कुमार उत्कर्ष ने भाग लेकर अपने विचार प्रकट किए और तय किए गए एजेंट व मांग पत्र पर कार्रवाई कराने के लिए जोर शोर से कार्य करने का संकल्प लिया। इसके साथ ही पूरे देश में  राज्य से लेकर जिला व तहसील स्तर तक आईपा की टीम बनाने के लिए 5 जोन नॉर्थ, साउथ, ईस्ट, वेस्ट व नॉर्थ ईस्ट बनाकर कोर कमेटी के पांच पदाधिकारियों को कजोन संयोजक बनाया गया। राष्ट्रीय महासचिव कैलाश शर्मा ने बताया है कि निम्न 11 सूत्री एजेंडा व मांगपत्र तय किया गया है जिसे मीडिया के द्वारा आम जनता की जानकारी में लाया जा रहा है।
1. देश के सभी सरकारी स्कूलों को केंद्रीय विद्यालय संगठन के समान बनाया जाए।
2. सभी स्कूली बच्चों को गुणात्मक मिड डे मील की सुविधा सुनिश्चित की जाए।
3. केंद्रीय सरकार को देश भर के सभी निजी स्कूलों के लिए वैधानिक फीस  विनियमन कानून  बनाना चाहिए और स्कूल की मैनेजमेंट में 50% भागीदारी अभिभावकों की होनी चाहिए 4, भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा हर साल स्कूलों के आय व व्यय की जांच व ऑडिट कराया जाए।
5. कोरोना महामारी के चलते अभिभावकों की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उनसे सिर्फ गत वर्ष की ही बिना बढ़ाई गई  ट्यूशन फीस, बिना किसी अन्य फंडों के ली जाए और जो अभिभावक इसको देने में भी असमर्थ हैं उनको इस फीस से भी छूट दिलाई जाए। फीस न देने के कारण किसी भी बच्चे का नाम न काटा जाए और सभी अध्यापक व कर्मचारियों को निर्धारित वेतन समय से मिलना सुनिश्चित किया जाए।
6. कोरोना संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए किसी भी हालत में स्कूलों को न खोला जाए। शिक्षा सत्र 2020-21 को जीरो अकादमिक वर्ष घोषित करके सभी छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाए।
7. केंद्र सरकार को नि: शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम,  (आरटीई) में संशोधन करके इसका फायदा बारहवीं कक्षा तक  के छात्रों को दिलाया जाए।
8. निजी स्कूलों में कार्यरत शिक्षक और अन्य स्टाफ को  निर्धारित वेतनमान के अनुसार  वेतन मिलना सुनिश्चित किया जाए।
9. देश के सभी सहायता व मान्यता  प्राप्त स्कूलों में स्कूल शिक्षा पूरी तरह से मुफ्त होनी चाहिए।
10. संविधान में आवश्यक संशोधन करके सभी माइनोरिटी स्कूलों को भी आरटीई अधिनियम, 2009 के तहत लाया जाना चाहिए।
11. शिक्षकों के रिक्त पदों पर  शीघ्र स्थाई तौर पर नियुक्ति की जानी चाहिए और शिक्षकों को गैर  शैक्षणिक कार्यों में न लगाकर उन्हें सिर्फ शैक्षणिक कार्यों में ही ड्यूटी करने देना चाहिए।
सुभाष लांबा, सुधा झा ने कहा है आइपा की ओर से केंद्र सरकार से मांग की गई है कि नई बनाई जा रही शिक्षा नीति में इन 11 सूत्री एजेंडा में कही गई सभी बातों व मांगों को शामिल किया जाए ।

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