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फरीदाबाद। निर्जला एकादशी के पावन पर्व पर के अवसर पर आज वैष्णोदेवी मंदिर तिकोना पार्क में मीठा जल वितरित किया गया। मंगलवार को मंदिर संस्थान के प्रधान जगदीश भाटिया ने सोशल डिस्टेंस की पालना करते हुए लोगों को मीठा जल पि
लाया। इस अवसर पर मंदिर के पुजारियों ने विधि विधान से सरकारी नियमों को ध्यान में रखते हुए भगवान विष्णु जी की पूजा की तथा पाठ किया। इसके बाद श्री भाटिया व मंदिर संस्थान के सभी सदस्यों ने जल सेवा की। मंदिर के बाहर एक छबली के रूप में स्टॉल लगाकर लोगों को जल पिलाकर पुण्य का कार्य किया। इस अवसर पर श्री भाटिया ने बताया कि निर्जला एकादशी का महत्व सबसे अधिक होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना किए जाने का विधान है। उन्होंने बताया कि निर्जला एकादशी का व्रत सबसे अधिक कठिन होता है। इस व्रत को करने से 24 साल के व्रतों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। उनके अनुसार महाभारत काल से निर्जला एकादशी का इतिहास जुड़ा हुआ है। इसका महत्व व पूजा का अलग ही महत्व है, इस दिन भूखों व प्यासे को खाना खिलाना तथा मीठा जल पिलाने की परंपरा है। उन्होंने कहा कि वैसे तो इंसान को जब भी अवसर मिले लोगों की सेवा करनी चाहिए। पंरतु ऐसे अनेक धार्मिक अवसर होते हैं, जिन पर सेवा व दान पुण्य का बहुत महत्व माना जाता है। ऐसे ही एक दिन निर्जला एकादशी का भी होता है। इसलिए इस दिन लोग विशेष तौर पर छबील लगाकर मीठा जल वितरित करने की सेवा करते हैं।
लाया। इस अवसर पर मंदिर के पुजारियों ने विधि विधान से सरकारी नियमों को ध्यान में रखते हुए भगवान विष्णु जी की पूजा की तथा पाठ किया। इसके बाद श्री भाटिया व मंदिर संस्थान के सभी सदस्यों ने जल सेवा की। मंदिर के बाहर एक छबली के रूप में स्टॉल लगाकर लोगों को जल पिलाकर पुण्य का कार्य किया। इस अवसर पर श्री भाटिया ने बताया कि निर्जला एकादशी का महत्व सबसे अधिक होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना किए जाने का विधान है। उन्होंने बताया कि निर्जला एकादशी का व्रत सबसे अधिक कठिन होता है। इस व्रत को करने से 24 साल के व्रतों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। उनके अनुसार महाभारत काल से निर्जला एकादशी का इतिहास जुड़ा हुआ है। इसका महत्व व पूजा का अलग ही महत्व है, इस दिन भूखों व प्यासे को खाना खिलाना तथा मीठा जल पिलाने की परंपरा है। उन्होंने कहा कि वैसे तो इंसान को जब भी अवसर मिले लोगों की सेवा करनी चाहिए। पंरतु ऐसे अनेक धार्मिक अवसर होते हैं, जिन पर सेवा व दान पुण्य का बहुत महत्व माना जाता है। ऐसे ही एक दिन निर्जला एकादशी का भी होता है। इसलिए इस दिन लोग विशेष तौर पर छबील लगाकर मीठा जल वितरित करने की सेवा करते हैं।
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