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ग्रामीण सफाई कर्मचारियों ने शुरू किया राज्यव्यापी आंदोलन

Posted by : pramod goyal on : Monday 22 June 2020 0 comments
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फरीदाबाद 22 जून। ईपीएफ लागू करवाने सहित अपनी मांगों के समर्थन में  ग्रामीण सफाई कर्मचारियों ने आज से शुरू किया राज्यव्यापी आंदोलन। लंबित मांगो की प्राप्ति के 6 जुलाई से 8 जुलाई तक करेंगे  तीन दिवसीय हड़ताल।     प्र
देश के सभी ग्रामीण सफाई कर्मचारियों ने ईपीएफ और ईएसआई का लाभ प्रदान करने , इस  साल के बकाया वर्दी भत्ते का भुगतान, करोना महामारी से निपटने के लिए  पर्याप्त मात्रा में सुरक्षा उपकरण दिए जाने  जैसी  मांगों को लेकर आज से अपना राज्यव्यापी आंदोलन शुरू कर दिया है। यह संघर्ष मांगों का समाधान  होने तक जारी रहेगा।I लंबित मांगों की प्राप्ति के लिए आज सोमवार को कर्मचारियों ने प्रदेश भर में काले बिल्ले लगाकर काम किया  तथा  बीडीपीओ फरीदाबाद के सेक्टर सेक्टर 16  स्थित कार्यालय पर धरना दिया। धरने की अध्यक्षता
 खंड प्रधान राजू  ने की जबकि  संचालन ब्लॉक सचिव.नरेश  कुमार ने किया। इस मौके पर सीटू के जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र सिंह डंगवाल, ग्रामीण सफाई कर्मचारी यूनियन के जिला प्रधान दिनेश पाली विशेष रुप से मौजूद रहे।  डंगवाल ने कहा की प्रदेश सरकार ग्रामीण सफाई कर्मचारियों की और कोई ध्यान नही दे रही। सरकार ने इन कर्मचारियों को राम भरोसे छोड़ दिया है। कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर सरकार को बार-बार समस्याओं से अवगत करवा चुके है। इसके बाद भी सरकार कर्मचारियों की सुध लेने को तैयार नही है। जिससे सफाई कर्मचारियों में काफी नाराजगी व्याप्त है। डंगवाल ने
 कहा की 4 सितम्बर 2019 को पीएफ लागू करने पत्र पंचायत विभाग ने  जारी किया था। इस के बाद भी पीएफ लागू करने के लिए लिए वित्त विभाग से मंजूरी के नाम पर 4 माह गुजार दिए तथा 9 जनवरी को वित्त विभाग ने भी मंजूरी दे दी तथा 17 मार्च को विकास एवं पंचायत विभाग के प्रधान-सचिव ने ईपीएफ लागू करने बारे पत्र जारी कर दिया। इसके बाद भी भविष्य निधि का फरीदाबाद स्थित क्षेत्रीय कार्यालय सफाई मजदूरों के पी एफ के खाते नहीं खोल रहा है।  अभी तक किसी भी ब्लॉक में ग्रामीण सफाई कर्मचारियों को ईपीएफ के दायरे में शामिल नही किया गया है। जिसके कारण लगातार कर्मचारियों में सरकार के प्रति  गुस्सा बढ़ रहा है।
     उन्होंने कहा कि इन कर्मचारियों के लिए सरकार का कितना अमानवीय रुख है इसका  अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है। की कोरोना की चपेट में आने से होने वाली मौत की कीमत भी अलग-अलग है। अगर किसी डॉक्टर की मौत होती है। तो उसके परिजनों को 50 लाख रुपए का   मुआवजा दिया जाएगा और  यदि सफाई कर्मचारी की मौत होती है तो उसके परिजनों को सिर्फ  10 लाख रुपये मुआवजा के रूप में मिलेगे। यह सीधे तौर पर सरकार के  दोगलापन  को उजागर करता है।

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