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उदासीनता के खिलाफ आशा वर्कर,एनएचएम व ठेका कर्मचारी सड़कों पर उतर आए

Posted by : pramod goyal on : Thursday 25 June 2020 0 comments
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फरीदाबाद,25 जून। कोरोना योद्वाओं की लंबित मांगों एवं समस्याओं के प्रति सरकार व स्वास्थ्य विभाग की घोर उदासीनता के खिलाफ आशा वर्कर,एनएचएम व ठेका कर्मचारी बृहस्पतिवार को सड़कों पर उतर आए। इन कोरोना योद्वाओं ने नागरिक अस्पताल में एक सभा का आयोज
न किया और इसके बाद सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रधान सुभाष लांबा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री, जिला प्रधान अशोक कुमार, सचिव बलबीर सिंह बालगुहेर, आशा वर्कर यूनियन की सचिव सुधा, स्वास्थ्य ठेका कर्मचारी यूनियन के नेता सोनू के नेतृत्व में बीके चौक से नीलम चौक तक सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए जूलुस निकाला और प्रर्दशन किया। प्रर्दशन के बाद मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री को संबोधित 12 सुत्रीय मांगों का ज्ञापन सिविल सर्जन को सौंपा गया। प्रर्दशन में सर्व सम्मति से पारित किए प्रस्ताव में सरकार व विभाग को चेतावनी दी कि अगर शीध्र ही 12 सुत्रीय मांगों का बातचीत से समाधान करने की ठोस पहल नहीं की तो तीनों संगठनों के 40 हजार कर्मचारी बड़ा आंदोलन छेड़ने पर मजबूर होंगे। जिसकी पुरी जिम्मेदारी सरकार व विभाग की होगी। मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री को भेजें गए ज्ञापन में सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने,एनएचएम कर्मियों, आशा व विभाग में लगे ठेका कर्मचारियों को पक्का करने, ठेकेदारों को बीच से हटकर ठेका कर्मचारियों को सीधे पे रोल पर लेने,24 हजार रुपए न्यूनतम मासिक वेतन देने,पक्के कर्मचारियों की तरह सभी कच्चे कर्मचारियों को भी 50 लाख एक्स ग्रेसिया बीमा कवर देने, आशा वर्करों को 4 हजार रुपए जोखिम भत्ता देने,एनएचएम के डाक्टरों,नर्सो,एएनएम व अन्य कर्मचारियों के अनुबंध में लगाई गई शर्त को हटाकर नवीनीकरण करने, एनएचएम कर्मचारियों का 35 दिन का हड़ताल पीरियड का वेतन देने की मांग की। प्रदर्शनों में 11 हजार ठेका कर्मचारियों को 30 सितंबर को नौकरी से निकालने की निंदा की गई।

 सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि बिना किसी तैयारी के किए गए लाकडाउन के कारण आज कोरोना के साथ ही महंगाई व बेरोजगारी बेकाबू हो गई है। पेट्रोल व डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी होने से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना से आज सरकारी क्षेत्र और सरकारी कर्मचारी ही जुझ रहे हैं। इसके बावजूद सरकार फ्रंटलाइन में खड़े होकर लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मियों की मांगों एवं समस्याओं को  सुनने तक तैयार नहीं है। इसके विपरित एनएचएम कर्मियों के अनुबंध नवीनीकरण में अनावश्यक शर्त लगाकर और 11 हजार ठेका कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का फैसला लेकर कर्मचारियों को बड़े आंदोलन के लिए मजबूर किया जा रहा है।

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