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सुसराल में पति की यातनाओं का शिकार महिला के कमरे की मायके में सगी माँ और भाई ने काटी बिजली

Posted by : pramod goyal on : Wednesday 20 May 2020 0 comments
pramod goyal
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फरीदाबाद,20 मई। सेक्टर तीन में सुसराल में पति की यातनाओं का शिकार मायके में रह रही बेटी की सगी मां व भाई द्वारा भीषण गर्मी में बिजली काट कर प्रताड़ना करने का रोंगटे खड़े करने वाला मामला सामने आया है। पीड़ित महिला ने
सेक्टर तीन पुलिस चौकी प्रभारी को शिकायत देकर भाई व मां द्वारा मानवता की सारी हदें पार करते हुए उनके कमरे की काटी गई बिजली को चालू करवाने की मांग की है। लेकिन अभी तक शिकायत का कोई समाधान नहीं हुआ है। सगी मां व भाई द्वारा मानवता की सारी हदें लांघ कर भीषण गर्मी में बेटी के कमरे की बिजली काटने को लेकर आसपास के पड़ोसियों में भारी नाराजगी है और मां व भाईयों द्वारा अपनी सगी बेटी की इतनी भीषण गर्मी में बिजली काटने को चौतरफा निंदा हो रही है। पीड़िता सफदरजंग एन्क्लेव, नई दिल्ली स्थित संजीवनी प्लस सेंटर में काम करती हैं। जिसको रोजाना अपनी बेटी को घर अकेला छोड़कर ड्यूटी पर भी जाना होता है।

पीड़ित महिला राधा वर्मा द्वारा पुलिस चौकी प्रभारी को दी शिकायत में बताया की वह अपनी बेटी के साथ अपने माता-पिता के मकान नंबर 2097 ग्राऊंड फलौर, हाऊसिंग बोर्ड कालोनी में रहती हैं। इस मकान में उनके अलावा उनकी मां शकुंतला वर्मा,भाई मनोज वर्मा व भाभी नेहा वर्मा भी रहती है। उन्होंने बताया कि मेरे को उन्होंने एक कमरा व रसोई दे रखा है। उन्होंने बताया कि उनके भाई ने पिछले 8 महीने से केवल उनके कमरे की लाईट काटी हुई है। बाकी सारे मकान में बिजली चल रही है। उन्होंने बताया कि वह ऐसा इसलिए कर रहे हैं ताकि मैं तंग होकर यहां से कहीं और चली जाऊं। लेकिन मेरी इतनी गुंजाइश नहीं की मैं कहीं और जगह किराए पर मकान लेकर रह सके। शिकायत में पीड़िता ने कहा है कि वह सब मीटर लगवने और उसकी रीडिंग के मुताबिक बिल भी अपने भाई व मां को देने को तैयार हैं। लेकिन इसके बावजूद भाई व मां बिजली नहीं दे रहें हैं। उन्होंने बताया कि वह इस शिकायत को लेकर पुलिस में गई है, लेकिन उसकी शिकायत का अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ है, जिसके कारण वह और उसकी बेटी इतनी भीषण गर्मी में मजबूरीवश यहां रहने को मजबूर हैं। उन्होंने समाज से भी सवाल किया कि अगर बेटियों के साथ सुसराल में कोई प्रताड़ना होती है तो वह मां बाप भाई के घर न आए तो कहा जाए ? उन्होंने कहा कि इसीलिए बेटियां मजबूर होकर आत्महत्याएं करने पर मजबूर होती है। उन्होंने कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा केवल नारा है, हकीकत बिल्कुल इसके विपरित है।

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