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फरीदाबाद।
देशभर के बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर बिजली निजीकरण के प्रस्तावित बिजली संशोधित बिल-2020 के लिए 1 जून को काला दिवस मनाएंगे। जिसके तहत बिजली कर्मचारी एवं अधिकारी काले बिल्ले लगाकर सब डिवीजन स्तर विरोध प्रर्दशन करेंगे और बिल के ड्राफ्ट को वापस लेने की मांग करेंगे। काला दिवस में हरियाणा के बिजली कर्मचारी बढ चढ कर शामिल होने का निर्णय लिया है। इसकी तैयारियों को लेकर रविवार को आल हरियाणा पावर कारपोरेशनज वर्कर यूनियन की सर्कल कमेटी फरीदाबाद की सेक्टर-7 जिला कार्यालय में मीटिंग का आयोजन किया गया। सर्कल सचिव अशोक कुमार की अध्यक्षता में आयोजित इस मीटिंग में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष एवं एएचपीसी वर्कर यूनियन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुभाष लांबा,आल हरियाणा पावर कारपोरेशनज वर्कर यूनियन के उप प्रधान सतपाल नरवत व केन्द्रीय कमेटी के सदस्य शब्बीर अहमद गनी विशेष रूप से उपस्थित रहे। सर्कल कमेटी की मीटिंग में 1 जून को बिजली निजीकरण के सब डिवीजन स्तर पर काले बिल्ले लगाकर प्रर्दशन करने का फैसला लिया गया है।
मीटिंग में केंद्र सरकार द्वारा निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देने के वायदे को खारिज करते हुए बताया गया कि बिल की सच्चाई यह है कि निजीकरण किसानों व आम घरेलू उपभोक्ताओं के साथ धोखा है और निजीकरण के बाद बिजली की दरों में बेतहाशा वृद्धि होगी। जिसके कारण बिजली गरीब उपभोक्ताओं और किसानों की पहुंच से बाहर हो जाएंगी। मीटिंग में इस निजीकरण के बिल के खिलाफ किसानों, मजदूर ट्रेड यूनियनों व बिजली उपभोक्ताओं को साथ लेकर निर्णायक आंदोलन किया जाएगा।
इलेक्ट्रिसिटी इंप्लईज फेडरेशन ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष व एनएचपीसी वर्कर यूनियन के वरिष्ठ उप प्रधान सुभाष लांबा ने मीटिंग में बोलते हुए कहा कि
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बिजली वितरण के निजीकरण की घोषणा में कहा गया है कि नई टैरिफ नीति में सब्सिडी व क्रास सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी और किसी को भी लागत से कम मूल्य पर बिजली नहीं दी जाएगी। उन्होंने बताया कि अभी किसानों, गरीबी रेखा के नीचे और 500 यूनिट प्रति माह बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को सब्सिडी मिलती है, जिसके चलते इन उपभोक्ताओं को लागत से कम मूल्य पर बिजली मिल रही है। अब नई नीति और निजीकरण के बाद सब्सिडी समाप्त होने से स्वाभाविक तौर पर इन उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी होगी। उन्होंने आँकड़े देते हुए बताया कि बिजली की लागत का राष्ट्रीय औसत रु.06.73 प्रति यूनिट है और निजी कंपनी द्वारा एक्ट के अनुसार कम से कम 16 प्रतिशत मुनाफा लेने के बाद रु.8 प्रति यूनिट से कम दर पर बिजली किसी को नहीं मिलेगी। इस प्रकार एक किसान को लगभग 6000 रु. प्रति माह और घरेलू उपभोक्ताओं को 6000 से 8000 रु. प्रति माह तक बिजली बिल देना होगा। उन्होंने कहा कि निजी वितरण कंपनियों को कोई घाटा न हो इसीलिये सब्सिडी समाप्त कर प्रीपेड मीटर लगाए जाने की योजना लाई जा रही है। अभी सरकारी कंपनी घाटा उठाकर किसानों और उपभोक्ताओं को बिजली देती है। उन्होंने कहाकि सब्सिडी समाप्त होने से किसानों और आम लोगों को भारी नुकसान होगा जबकि क्रास सब्सिडी समाप्त होने से उद्योगों और बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को लाभ होगा।
मीटिंग में सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा के अलावा एनएचपीसी वर्कर यूनियन के राज्य व सर्कल कमेटी के पदाधिकारी सतपाल नरवत,शब्बीर अहमद गनी, रमेश चंद्र तेवतिया, कृष्ण कुमार, गिरीश चंद्र,भूप सिंह, सतीश छाबड़ी, दिनेश शर्मा आदि मौजूद थे।
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