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फरीदाबाद। शिक्षा निदेशक हरियाणा ने गुरुवार को रिमाइंडर के रूप में तीसरा आदेश निकालकर सभी प्राइवेट स्कूल संचालकों से 31 दिसंबर
तक ऑडिट रिपोर्ट व बैलेंस शीट के साथ फार्म 6 जमा कराने को कहा है l ऐसा न करने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की बात कही है l इस पर अभिभावक एकता मंच ने कहा है कि यह चोर से कहे चोरी कर, साह से कहे सावधान रहें के समान हैl मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा है कि शिक्षा निदेशक ने 2018 में भी ऐसा ही एक आदेश निकाला था जिसकी पाल ना में सिर्फ 600 प्राइवेट स्कूलों ने फार्म 6 जमा कराया था वह भी बिना ऑडिट रिपोर्ट व बैलेंस शीट की के l मंच ने इसकी शिकायत करके दोषी स्कूलों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की थी लेकिन आज तक उनके खिलाफ कोई इसी महीने भी उचित कार्रवाई नहीं की गई हैl ऐसी हालात में शिक्षा निदेशक के इस विषय पर इसी महीने 2 दिसंबर व 18 दिसंबर को भेजे गए इन दो आदेश पत्र का स्कूल प्रबंधक कितना पालन करते हैं और पालन न करने वाले स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ शिक्षा विभाग क्या कार्रवाई करता है यह देखने की बात हैl मंच के जिला सचिव डॉक्टर मनोज शर्मा ने कहा है कि फार्म 6 सरकार द्वारा प्राइवेट स्कूल संचालकों को दिया गया वह लाइसेंस है जो उनको सुरक्षा कवच प्रदान करता है l स्कूल प्रबंधक फार्म 6 जमा कराएं या ना कराएं l यदि जमा कराएं तो स्कूल संचालक फार्म 6 में जो भी फीस बढ़ी हुई लिख दे सरकार की नजर में वह सही हो जाती है l ना उसकी जांच और ना पड़ताल l स्कूल प्रबंधक अपने ऑडिटर से मनचाही ऑडिट रिपोर्ट बनवा कर अगर उसे संलग्न भी कर दें तो उसकी भी ना कोई जांच और ना पड़तालl स्कूल वाले जो लिख दे या लिखवा दें सरकार की नजर में वह सही हो जाता हैl पिछले 10 साल से ऐसा ही हो रहा हैl स्कूल संचालक सरकार द्वारा दिए गए इस लाइसेंस रूपी फार्म 6 का जमकर फायदा उठा रहे हैंl कैलाश शर्मा का कहना है कि मंच की ओर से जब स्कूलों की मनमानी व लूटखसोट की शिकायत की जाती है तो शिक्षा निदेशक व फीस एंड फंड रेगुलेटरी कमेटी के चेयरमैन का जवाब होता है कि स्कूल प्रबंधक फार्म 6 में लिखी हुई फीस के अनुसार ही फीस वसूल रहे हैं इसमें उनकी कोई गलती नहीं हैl मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा ने कहां कि होना यह चाहिए कि 31 दिसंबर तक जमा कराए गए फार्म 6 में दर्शाई गई चालू शिक्षा सत्र की फीस और आगे शिक्षा सत्र में ली जाने वाली प्रस्तावित फीस की व संलग्न की गई ऑडिट रिपोर्ट व बैलेंस शीट की सरकारी ऑडिटर से जांच करानी चाहिएl उनके खातों की जांच के बाद ही अगर स्कूल घाटे में चलता हुआ दिखाई देता है, तभी शिक्षा निदेशक को आगे फीस बढ़ाने की अनुमति देनी चाहिएl दिल्ली सरकार ने यही प्रक्रिया अपनाई थी तब जांच में पता चला था कि स्कूल प्रबंधक काफी मुनाफे में हैं और उनके पास काफी सरप्लस फंड है और उनकी आय व्यय में काफी गड़बड़ी है ऐसे में दिल्ली सरकार ने स्कूलों को फीस बढ़ाने की अनुमति नहीं दी उल्टे अभिभावकों से पिछले 5 साल में वसूली की बढ़ी फीस को ब्याज सहित अभिभावकों को वापिस दिलवाया l ऐसा हरियाणा सरकार भी कर सकती है लेकिन ना तो उसकी नीति सही है और ना नीयत lयह सरकार पूरी तरह से मनमानी कर रहे स्कूल संचालकों को संरक्षण प्रदान कर रही हैl मंच ने फैसला लिया है कि वह पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में जनहित याचिका डालकर हरियाणा के सभी प्राइवेट स्कूलों के पिछले 10 साल की आमदनी और खर्चे व खातों की सीएजी से जांच कराएं जिससे उनके द्वारा लाभ में होते हुए भी हर साल बढ़ाई जाने वाली फीस की वैधानिकता की जांच हो सकेl
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