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मानव रचना में वैकल्पिक राजनीति पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित

Posted by : pramod goyal on : Saturday 5 October 2019 0 comments
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फरीदाबाद।  मानव रचना यूनिवर्सिटी (MRU) ने इंस्टीट्यूट ऑ
फ पीस रिसर्च एंड एक्शन (IPRA) के सहयोग से वैकल्पिक राजनीति पर एक राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित किया। ICSSR (इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंसेज रिसर्च) द्वारा प्रायोजित एक दिवसीय सेमिनार ने वैकल्पिक राजनीतिशांति और इसके संबंधित आयामों के विचार पर चर्चा और बहस करने के लिए एक मंच प्रदान किया। डॉ. सुशीला भानअध्यक्ष-आईपीआरए की उपस्थिति में यूसीजी के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर वेद प्रकाश द्वारा शांति और स्थिरता के केंद्र का शुभारंभ किया गया। इस दौरान मानव रचना शैक्षणिक संस्थान के अध्यक्ष डॉ. प्रशांत भल्ला, उपाध्यक्ष ड़ॉ. अमित भल्ला, एमआरयू के वीसी डॉ. आईके भट, डॉ. संजय श्रीवास्तव और अन्य वरिष्ठ शिक्षाविद मौजूद रहे।
डॉ. सुशीला भान ने अपने संबोधन में समाज में ऐसी परिस्थितियाँ पैदा करने पर जोर दिया जहाँ शांति को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने कहा: "हमें युवाओं के नेतृत्व का तीसरा पायदान बनाना होगा और अधिक से अधिक अच्छे काम के लिए शांति के कठिन दृष्टिकोण को अपनाने के लिए अपने दिमाग को आकार देना चाहिए"। डॉ. ओपी भल्ला के विजन की प्रशंसा करते हुए प्रोफेसर वेद प्रकाश ने कहा कि शिक्षा सशक्तिकरण का साधन है।
इस दौरान दो सेशंस का आयोजन किया गया। पहले सेशन में आल्टरनेटिव पॉलिटिक्स- गांधिअन थॉट (Alternative Politics: Gandhian Thought) और दूसरे सेशन में ‘Role of Social Entrepreneurship in Alternative Politics’ and ‘Peace through a Gender Lens: Role of Women in Conflict Resolution’ पर चर्चा की गई।
पहले सेशन में प्रो. पीके चौबे एक अर्थशास्त्री और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र ने वैकल्पिक राजनीति पर सत्र का संचालन किया, जिसमें गांधीजी के जीवन के विभिन्न पहलुओं और उनकी यात्रा के मील के पत्थर पर चर्चा की। उन्होंने कहा, "गांधीजी की पहल बहुआयामी हैऔर उनकी अहिंसा की अवधारणा बहुत मुखर और आक्रामक थी।"
इसके बाद सेशन टू में वैकल्पिक राजनीति में सामाजिक उद्यमिता की भूमिका और जेंडर लेंस के माध्यम से शांति: संघर्ष प्रस्ताव में महिलाओं की भूमिका पर चर्चा की गई। इस सत्र की अध्यक्षता जेएनयू के प्रोफेसर मैत्रेयी चौधरी ने की।

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